स्थितिमें क्या उसे एक निश्चित और काफी लम्बी अवधितक के लिए बन्द नहीं कर दिया जाना चाहिए, जिससे कि उस दौरान रचनात्मक कार्यका संगठन करके देश निर्विवाद रूपसे अहिंसात्मक वातावरण पैदा कर सके। मैं इस मामलेमें ज्यादासे ज्यादा मित्रोंसे रहबरी चाहता हूँ । आप यदि बैठकमें शरीक न हो पायें, तो भी मैं चाहूँगा कि मुझे अपनी राय लिख भेजें, समय हो तो पत्र द्वारा और नहीं तो तारके जरिये ।
मैं यह पत्र कार्य समितिके सदस्योंको ही भेज रहा हूँ । लेकिन मैं चाहूँगा कि आप जिनसे भी मिलें अपने सभी मित्रोंसे सलाह-मशविरा करें और अगर उनमें से कोई चर्चा में भाग लेने आना चाहे तो उसे या उन्हें कृपया अपने साथ ले आयें या यहाँ भेज दें ।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
सेवन मंथ्स विद महात्मा गांधी
१४८. पत्र : डा० एम० एस० केलकरको
बुधवार, ८ फरवरी, १९२२
मेरा खयाल है कि समितिको सिर्फ स्वदेशीके लिए ही रुपया दिया गया था । मेरी तो यही इच्छा है कि आप जल्दीसे-जल्दी विशेषज्ञ नियुक्त कराकर अपना काम शुरू कर दें। इस पत्रको कृपया श्री दास्तानेको[२]दिखा दीजिए। आपने प्रचारकके सम्बन्धमें जो लिखा वह मैंने देख लिया है। मैं एक दिनके लिए बम्बई जा रहा हूँ ।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
मार्फत डा० नूलकर
जलगाँव
अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० ६१०७) की फोटो नकलसे ।