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टिप्पणीयाँ


संयुक्त प्रान्तकी प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके सभी स्थानीय पदाधिकारियोंमें से मैं ही एक अभागा अभीतक जेलसे बाहर हूँ। इसलिए यहाँ हालमें जो-कुछ हुआ है वह बताना मेरा काम है।

आधी रातके लगभग, प्रान्तीय कांग्रेसके कार्यालयकी तलाशी ली गई और प्रा० कां० कमेटी, कार्य-समिति तथा अन्य उप-समितियोंके रजिस्टर पुलिस अधीक्षक, जिन्होंने तलाशी ली, उठा ले गये । इसके अतिरिक्त गिरफ्तार हुए सज्जनोंके घरों और खिलाफत समितिके कार्यालयकी भी तलाशी ली गई।

हमने अब इलाहाबादमें भी सुनियोजित तथा संयत ढंगसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक बड़ी तेजीसे भरती हो रहे हैं।...कल १२ स्वयंसेवकों की एक टोलीने अपनी बाहोंपर राष्ट्रीय बिल्ले लगाकर, देशभक्तिपूर्ण गीत गाते हुए नगरमें चक्कर लगाया...किन्तु किसीको भी गिरफ्तार नहीं किया गया।...आज पुनः वही टोली अन्य १२ स्वयंसेवकों सहित नगरके विभिन्न भागोंमें घूमती रही।...आज भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।

लाहौरका निम्नलिखित पत्र[१]भी इतना ही महत्त्वपूर्ण है :

वातावरण सामान्य तौरपर बहुत ही अच्छा है। जनता निर्भय तथा अहिंसक है। नगर कांग्रेस कमेटी स्वयंसेवकोंको एक ही समयमें शहरके विभिन्न स्थानोंपर सभाएँ आयोजित करने, एक-सा लिखित भाषण पढ़ने तथा एक-से गीत गाने एवं १०-१५ मिनटमें ही विसर्जित हो जानेकी हिदायत के साथ भेजती है। कल (८ तारीखको) इस प्रकारकी २० सभाएँ २० विभिन्न स्थानों-पर आयोजित की गईं। ... गिरफ्तारी अथवा जेलका भय अब समाप्त ही हो चुका है।

निःसन्देह यह एक ऐसी बात है जिसपर किसी भी देशको गर्व होना चाहिए।

कहीं हम भूल न जायें

लाहौरके यही सज्जन खेदके साथ लिखते हैं कि खादी आन्दोलनकी प्रगतिमें प्रतिरोध उत्पन्न हुआ है। अब लाहौरमें खादी उतनी दिखाई नहीं देती जितनी कुछ दिनों पहले दिखाई देती थी। यदि यह ठीक हो तो यह अच्छा लक्षण नहीं है। केवल जेलोंको भरते चले जानेसे ही हमारा पूरा अभिप्राय सिद्ध नहीं होगा। यदि भारत स्वदेशी-की ओर उन्मुख नहीं होता तो जेलोंको भरते जाने से न तो वह आत्मनिर्भर बनेगा और न करोड़ों लोगोंको रोजी-रोटी दे सकेगा। यदि कार्यक्रमके चारों परमावश्यक अंगोंको पूर्ण नहीं किया गया तो हम स्वराज्य नहीं ला सकते क्योंकि वे किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं, सभी के लिए हैं। मैं बार-बार उनको गिनाता हूँ, इससे पाठकगण उकता न जायें: हिन्दू, मुसलमान, सिख, पारसी, ईसाई, यहूदी ऐक्य; स्वदेशी अर्थात्

  1. पत्रके कुछ अंश ही यहाँ उद्धृत किये जा रहे हैं ।