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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

क्या आपका विश्वास है कि भारतके मुसलमान खिलाफतके प्रश्नके सन्तोषप्रद निबटारे के बाद भी कांग्रेसकी न्यूनतम माँगोंका इतने ही उत्साहके साथ आग्रह करते रहेंगे ?

मेरे दिमाग में इस सम्बन्धमें जरा भी सन्देह नहीं है और शायद इसलिए कि खिलाफत के मामले में जो कुछ भी हासिल होगा, उसे वही भारत महफूज रख सकता है जो इंग्लैंडके प्रतिबन्धोंसे मुक्त हो और अपना शासन आप चलाता हो ।

क्या आपने बारडोलीके किसानोंमें कोई खास विशेषता देखी है ?

बारडोलीके किसानोंमें उनकी सादगी और भोलेपनके अतिरिक्त कोई और विशेषता मैंने नहीं देखी ।

क्या वाइसरायके नाम अपना हालका पत्र लिखनेकी प्रेरणा आपको 'मालवीय कान्फ्रेंस' के किसी सदस्यसे मिली थी ?

वह मैंने बिलकुल अपने आप ही लिखा था । सच तो यह है कि कार्य समितिके सदस्योंको थोड़ी देरके लिए आश्चर्य भी हुआ था और उन्होंने इसे संघर्ष के तरीकेमें एक परिवर्तनके रूपमें भी लिया था, हालांकि मैंने 'नवजीवन' और 'यंग इंडिया' के जरिये इसके लिए पहलेसे काफी जमीन तैयार कर दी थी । घोषणा पत्र में संघर्ष के तरीके- परिवर्तन करने जैसी कोई चीज नहीं है, पर यह तो परिस्थितिको देखते हुए उसके अनुसार थोड़ी फेर-बदल की गई थी । मान लीजिए कि आप एक दिशामें आगे बढ़ रहे हैं और आपका दुश्मन रास्तेमें कोई ऐसी बाधा खड़ी कर देता है जिसे आप पार नहीं कर सकते । तब जाहिर है कि आप अपने हमलेका रुख बदल देंगे और आप उस बाधाको दूर करनेमें ही अपनी सारी शक्ति लगायेंगे; तभी तो आप आगे बढ़ सकेंगे। और मैंने कार्य समितिकी पूरी सहमतिसे ठीक यही किया है ।

यदि वाइसराय आपकी शर्तें नहीं मानते, तो आप 'मालवीय कान्फ्रेंस' में भाग लेनेवाले नरमदलीय नेताओंसे क्या करनेकी उम्मीद करते हैं ?

मैं तो यही उम्मीद करता हूँ कि वे भाषण स्वातन्त्र्य, समाचारपत्रोंकी स्वतन्त्रता और संस्थाओंकी स्वतन्त्रताके झण्डे के नीचे आ जायेंगे और मुझे तो यही आशा है कि वे कमसे कम इस हदतक असहयोगियोंके साथ आ मिलेंगे। हाँ, अगर उनको मेरे द्वारा उठाये इन मुद्दोंपर विदेशी लोगोंसे न्याय हासिल करनेका कोई दूसरा ज्यादा कारगर तरीका मिल जाये तो बात दूसरी है । मैं जहाँतक समझ पाया हूँ इन मुद्दोंके बारेमें देशमें कोई मतभेद नहीं है ।

क्या आपका खयाल है कि वाइसराय उन शर्तोंपर अमल करेंगे ?

उनको करना चाहिए ।

यदि आपको कोई आपत्ति न हो, तो में पूछूं कि सार्वजनिक सविनय अवज्ञा आन्दोलनके बारेमें पहला कदम आप क्या उठायेंगे ?

पहला कदम तो जाहिर है, यही होगा कि कर-अदायगी न करनेके आन्दोलनको और मजबूत किया जाये और उसके बाद मैं सोचूँगा कि हिंसाका कोई भी खतरा उठाये बिना किन-किन अन्य क्षेत्रोंमें सविनय अवज्ञा शुरू की जा सकती है । आप