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भेंट : 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधि से

जहाँतक मैं समझ पाया हूँ, मेरा तो निश्चित मत है कि बारडोली बिलकुल तैयार है । आज बारडोलीमें हिंसाकी जितनी कम गुंजाइश है, उतनी अन्य किसी भी ताल्लुकेमें नहीं है । मेरे लिए इस गारण्टीका निस्सन्देह बहुत बड़ा महत्त्व है और इसे नजरमें रखकर ही मैंने ऐसा निर्णय किया है । बारडोली अभीतक तो आत्म-निर्भर नहीं बना, लेकिन अब वह आत्म-निर्भर बन जायेगा । लोग तैयार हैं, पर उनको और अधिक संगठित करना जरूरी है ।

मारपीट और कोड़े लगानेकी घटनाओंको देखते हुए, क्या अब भी आप यही कहेंगे कि कमसे कम कष्ट भोगकर स्वराज्य प्राप्त करनेका छोटेसे-छोटा रास्ता यही है कि इस आन्दोलन के दौरान बड़े पैमानेपर अभी और कष्ट सहे जायें ?

मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं । कारण, कष्टसे पीड़ा तो होती ही है। पर यदि जनता बदलेकी कार्रवाई करेगी तो उसे और अधिक पीड़ा भुगतनी पड़ेगी । लेकिन यदि जनता काफी हदतक अहिंसाका पालन करती रहेगी, तो कोई प्रतिक्रिया न होने पर, सरकार खुद ही कुछ समय बाद हाथ-पैर पटककर चुप बैठ जायेगी। यह एक वैज्ञानिक सत्य है, जिसका कहीं कोई अपवाद हो ही नहीं सकता । इसलिए यदि जनता सरकारकी हिंसाका जवाब हिंसासे देगी तो उस सूरतमें उसे आजके मुकाबले सौ गुने अधिक कष्ट भोगने पड़ेंगे ।

क्या में पूछ सकता हूँ कि जेलों में पड़े सैकड़ों युवकोंके कष्टोंको नजरमें रखकर ही आपने सामूहिक सविनय अवज्ञा आन्दोलन के सम्बन्धमें कदम उठानेका फैसला किया है ? क्या आप यह नहीं मानते कि वे जिस चीजके लिए संघर्ष कर रहे थे वह सब प्राप्त करनेके बाद अब उनको पूरे सम्मानके साथ यथाशीघ्र रिहा कर दिया जाना चाहिए ?

अवश्य हो, और मैंने इसीलिए इस समय सामूहिक सविनय अवज्ञा आन्दोलनके सर्वप्रथम उद्देश्यके रूपमें उनकी रिहाई और सभी किस्मकी क्रूरता बन्द करानेके मसले- को रखा है।

क्या आपको यह उम्मीद नहीं कि सरकार एक काफी लम्बे अर्सेतक आपके सविनय अवज्ञा आन्दोलनकी ओरसे आँखें मूंदकर आपके प्रयत्नोंको विफल बना सकती है ? क्या सरकार एक अवांछनीय स्थिति उत्पन्न होने देनेके बजाय एक लम्बे अर्सेतक के लिए राजस्वकी वसूली मुल्तवी नहीं कर सकती या उसे बिलकुल छोड़ ही नहीं सकती ? तब उस सूरत में आप क्या करेंगे ?

सरकार ऐसा अवश्य ही कर सकती है। और अगर वह ऐसा करे तो मैं कोई भी उत्तेजनापूर्ण कार्रवाई न करके सरकारकी बुद्धिमानी और उसके संयमकी पूरी कद्र करूँगा। परन्तु वास्तवमें उसका अर्थ यही होगा कि बारडोलीने अपनी स्वतन्त्रता प्राप्त कर ली है और तब फिर दूसरे ताल्लुके भी अवश्य ही उसका अनुकरण करेंगे और मेरा खयाल है कि सरकार जबतक आम जनताकी रायके आगे सिर झुकानेका फैसला ही नहीं कर लेती तबतक वह चाहे संगीनोंके बलपर ही हो, राजस्व वसूल करना अपनी प्रतिष्ठाका प्रश्न बना लेगी ।