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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अपनी इच्छाकी ही है । यदि हम अपने शराबी भाइयोंको समझायें और उन्हें शराब पीने के नुकसान बतायें तो वे हमारा कहना अवश्य मानेंगे । यह सब काम बहुतसे स्वयंसेवक मिलें तभी किया जा सकता है ।

लोगोंने जेल जाने की तैयारी कर ली है, ऐसा तभी कहा जा सकता है जब वे ये सब काम करने लगें । वैसे तो यह भी सम्भव है कि यदि हम इस प्रकार काम करें तो हमें जेल जाना ही न पड़े। हमारी जेल जानेकी तैयारी हमारी पवित्रतामें निहित है । इसलिए बारडोलीवासियोंको सतत प्रयत्न करके अब भी जो कमियां रह गई हैं उनको दूर कर लेना चाहिए। ऐसा कर लेनेपर ही यह माना जा सकता है कि बारडोली समस्त भारतका भार उठाने योग्य हो गया है ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, ५-२-१९२२

१३९. अपील बारडोलीके लोगोंसे

पत्रिका सं० १

बारडोली
रविवार, माघ सुदी ८ [५ फरवरी १९२२]

बारडोलीके भाइयो और बहनो,

मेरा इरादा आपको यथासम्भव नियमित रूपसे पत्रिकाएँ लिखते रहनेका है।

आपने और मैंने कोई छोटी-मोटी जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली है । समस्त हिन्दुस्तानका बोझ आपने अपने कन्धोंपर ले लिया है। आप परीक्षा में सर्वप्रथम आना चाहते हैं ।

आप बड़ेसे-बड़ा बलिदान देना चाहते हैं और उसके लिए पूरी आत्मशुद्धि करनेकी तैयारी कर रहे हैं।

ईश्वर आपका मनोरथ सफल करे। लेकिन यदि मनुष्य प्रयत्न न करे तो ईश्वर भी कदापि कृपा नहीं करता ।

अभी-अभी मैंने सुना कि अठारह राष्ट्रीय स्कूलोंमें अन्त्यज बच्चे दाखिल हो चुके हैं। यह बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। जबतक एक भी राष्ट्रीय स्कूल अन्त्यज बच्चोंसे विहीन है तबतक परिषद्का निश्चय पूरा हुआ नहीं माना जा सकता ।

इसी तरह प्रत्येक घरमें चरखा दाखिल किया जाना चाहिए। प्रत्येक असहयोगी स्त्री अथवा पुरुषको[१]हाथकी कतीबुनी खादीके अतिरिक्त और कोई कपड़ा नहीं पहनना चाहिए ।

  1. बारडोली तालुका परिषद्, जो २९ जनवरी, १९२२ को हुई थी ।