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१३६. अंगद - बसीठी

सभ्यतायुक्त युद्धमें योद्धा अपने बलकी सीमा पा लेनेके बाद पूर्णतया नम्र हो जाता है । पूर्ण शक्ति संचयके पश्चात् वह विनय कदापि नहीं छोड़ता । वह युद्ध आरम्भ करते हुए हर बार अपने प्रतिस्पर्धीको समुचित रूपसे चेतावनी देता है, उसे सावधान करता है और उससे अपनी भूल सुधारने अथवा युद्धका कारण दूर कर लेने की प्रार्थना करता है।

रामने रावण के प्रति ऐसी ही विनय दिखाई थी । जब रामचन्द्र सेतुबन्ध रामेश्वरम् पहुँच गये तब उन्होंने अपनी वानर सेनाको एकत्र किया और सोचने लगे कि अब रावणको चेतावनी देनेके लिए किसे दूत बनाकर भेजें ? कितने ही वानरोंको यह कार्रवाई अनावश्यक मालूम हुई। कितनों ही को इसमें कमजोरी दिखाई दी। उन्हें लगा रावण - जैसे अभिमानीके प्रति विनय दिखाना उसके अभिमानको उत्तेजना देनेके बराबर है । रामने उनकी बातोंको गौरसे सुना और सेनाको समझाया कि रामकी सेनाको यह चिन्ता करनेकी कोई जरूरत नहीं कि दूत भेजनेका रावणपर कुछ असर होगा या नहीं । रामकी सेनाको तो सिर्फ सभ्यताका खयाल करना चाहिए। यदि इससे रावणका गर्व बढ़ता है तो वह और असावधान हो जायेगा। इसमें रामकी क्या हानि ? राम चेतावनी देता है तो इस धर्माचरणसे रामका तो बल बढ़ेगा ही । इसलिए रामने बलवान्, धैर्यवान् और विनयशील अंगदको दौत्यके लिये चुना और अंगद रावणके दरबारमें दूत बनकर गया। रावण चिढ़ गया । वह भला कहीं समझानेसे समझनेवाला व्यक्ति था ? आखिर वह अपने राजपाटसे हाथ धो बैठा ।

सभ्यताके इसी प्राचीन नियमके अनुसार हमने वाइसरायको बसीठी-पत्र भेजा है । वे तो मानेंगे नहीं, किन्तु इससे हमें क्या हानि होगी ? यदि वे न मानें तो इससे हमारा बल बहुत बढ़ जायेगा। संसार भी हमारी ओर अधिक झुकेगा और हमारा संसार तो हमारे वे भाई हैं जो अभी हमें भटका हुआ समझकर सरकारको मदद दे रहे हैं ।

इस बार मुद्दा बदल गया है। खिलाफत, पंजाब या स्वराज्यके प्रश्नोंका निपटारा करनेसे पहले हमें सरकार और उसके साथियोंसे एक दूसरी ही बातपर निपटना है ।

इस सरकारने अपनी सत्ता हमेशा लोगोंको भ्रममें रखकर कायम रखी है। रोग होता है कुछ और, बताया जाता है कुछ और। बंगालियोंको बंग-भंगके सम्बन्धमें शिकायत थी। इस कारण उन्होंने बम फेंके। सरकारने इस बमबारीको ही बीमारी बताकर असली रोगको छिपानेका प्रयत्न किया। उसने बमबारीको रोकने के बहाने बेगुनाह लोगोंको तंग करने और जनताको पौरुषहीन बनाने की योजना तैयार की। यही रौलट कानूनके बारेमें समझिए। इस रोगकी चिकित्सा करने जाकर पंजाब सन्निपातग्रस्त हो गया ।