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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किन्तु... स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए आपने जो तरीका अपनाया है उसके अबतक के परिणामोंसे भी आपको मालूम हो जाना चाहिए कि आपने गलत मार्ग अपनाया है । आपने पंजाब, बम्बई, मलाबार और दूसरी जगहोंमें जो अव्यवस्था फैलाई है, आज जो जगह-जगह दंगे, डकैतियाँ, नृशंसता, आगजनी और हत्याएँ हो रही हैं उन सबसे आपकी आँखें खुल जानी चाहिए, और आपको देख सकना चाहिए कि आपने कितना खौफनाक और गलत तरीका अपनाया है। आप अब भी इतने अन्धे क्यों हैं ? आप शैतानियतकी ताकतोंको उकसा रहे हैं, जिनपर आप काबू नहीं रख सकते और आप उन अच्छी ताकतोंके साथ मिलनेसे इनकार करते हैं, जो इनपर काबू रख सकती हैं और आगे प्रगतिमें सहायक हो सकती हैं। जहाँ आप आजादीका दावा कर रहे हैं वहीं आप स्पष्ट रूपसे केवल यह सिद्ध कर रहे हैं कि आप उसका उपयोग करने लायक नहीं हैं । हे महात्मा, यदि आप सचमुच महान् आत्मा हैं तो लौट आइए, लौट आइए । आत्मत्याग, कठोर अनुशासन और सहयोगपूर्ण प्रयासके सीधे और सँकरे मार्गपर आ जाइए। सिर्फ शोर मचाना और झण्डे फहराना छोड़ दीजिए। आप स्वयं कुछ अच्छा कार्य कीजिए और दूसरे लोग जो भलाई कर रहे हैं उसकी नुक्ताचीनी ही न करते रहिए। यह सच है कि उनका वह काम सर्वथा दोषरहित नहीं है, किन्तु वे कमसे कम लगन तथा निःस्वार्थ भावसे वैसा करनेकी कोशिश तो कर रहे हैं।

हृदयसे आपका,
जी० एच० मैक्फरलेन

मद्रास,
२५ जनवरी, १९२२

अभी हाल में इन स्तम्भोंमें दो अंग्रेज महिलाओंके दो पत्र[१] प्रकाशित किये गये थे। वे दोनों ही ईसाई धर्म प्रचारिकाएँ हैं । किन्तु श्री मैक्फरलेनके पत्रमें[२] उक्त दोनों पत्रोंसे ठीक उलटी बातें कही गई हैं। जाहिर है कि उन्होंने इस आन्दोलनको या तो समझा नहीं या इसका ठीकसे निरीक्षण नहीं किया। मिशनरियोंको तो और लोगोंकी बनिस्बत कहीं ज्यादा अच्छी तरह मालूम होना चाहिए कि कुछ विशेष घटनाओंको लेकर सामान्य निष्कर्ष निकाल लेना अत्यन्त खतरनाक है । मद्रासमें भीड़ने श्री मैक्फरलेनपर आक्रमण करके और उनकी मोटरकी बत्ती निकालकर निःसन्देह कायरताका काम किया है। हर समझदार आदमीने इस पागलपनकी निन्दा की है । हर समझदार आदमी यह मानता है कि इससे हमारे कामको नुकसान पहुँचा है, क्योंकि जिस असहयोगकी बुनियाद ही अहिंसा है, उसके प्रति झूठी हमदर्दी दिखाने के लिए हिंसाका सहारा लिया गया है ।

  1. देखिए “ टिप्पणियाँ ", १२-१-१९२२ का उप-शीर्षक “भगवान्के हाथों में" तथा " टिप्पणियाँ ", २६-१-१९२२ का उप-शीर्षक "एक अंग्रेज महिलाका आशीर्वाद " ।
  2. यहाँपर केवल सारांश प्रकाशित किया गया है ।