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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है कि चार्ली एन्ड्रयूजके अतिरिक्त दो और विशेषज्ञ भी इस मामले में दिलचस्पी ले रहे हैं । मेरे लिए तो स्वराज्यके कार्य में साम्राज्यके इन अछूतोंकी सेवा करना भी शामिल है ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २-२-१९२२

१२९. एक ईसाई धर्म प्रचारकके भ्रमपूर्ण निष्कर्ष

सेवामें

श्री मो० क० गांधी

महोदय,

भारतमें आपके प्रचारके परिणामोंका अभी कुछ दिन पहले तक मुझे कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं था। लेकिन १३ जनवरीको, जिस दिन महाविभव युवराज (प्रिंस आफ़ वेल्स) मद्रास पधारे, मैं जब जॉर्ज टाउनकी सड़कोंपर से मोटर में गुजर रहा था, तब “गांधीजीकी जय" का नारा लगाते हुए उपद्रवियोंका एक दल मुझपर टूट पड़ा। उन्होंने मुझपर इंट-खपड़े फेंके, धूल डाली और मुझे आगे जानेसे रोक दिया। इतना ही नहीं, वे मेरी गाड़ीको एक बत्ती भी खोल ले गये । . . . मैंने जो कुछ भुगता वैसा ही बहुत-से अन्य लोगोंको भी भुगतना पड़ा, बल्कि कुछकी तो और भी अधिक गम्भीर क्षति हुई। मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे कोई शारीरिक चोट नहीं आई ।

इस अनुभवसे मुझे कुछ बातें मालूम हुईं, जिन्हें मैं आप तक पहुँचाना चाहता हूँ ।

आपका दावा है कि आप भारतके हितके लिए काम कर रहे हैं। यही दावा और भी बहुत-से लोग करते हैं। उदाहरणके लिए ईसाई धर्म प्रचारक - जिनमें एक मैं भी हूँ - यही दावा करते हैं और ब्रिटिश सरकार भी करती है । ये दोनों ही कह सकते हैं कि अतीतमें उन्होंने इस देश और इसकी जनताके लाभके लिए बहुत ज्यादा काम किया है।...

मैं आपसे पूछना चाहूँगा कि आपने इस देशमें निश्चित सुधारकी दिशा में क्या कार्य किये हैं और उनके क्या ठोस शुभ परिणाम निकले हैं ?...अभी तक तो आप उपद्रव ही कराते रहे हैं। पंजाबमें हुए उपद्रवोंकी जड़ भी आप ही थे, दूसरा कोई नहीं । आप ही हैं जिसने मुसलमानोंके दिमागों में खिलाफतके प्रति किये गये अन्यायका विचार भरा है। खिलाफतके सम्बन्धमें जो कुछ हुआ है, वह ठीक हो या गलत, भारत, भारतकी जनता और भारत सरकारका उससे न तो कोई सरोकार है और न वे उससे कोई सरोकार रखना ही चाहते