१२३. पत्र : वी० ए० सुन्दरम्को
[१ फरवरी, १९२२ के पूर्व ][१]
तुम्हारे साथ मेरी पूर्ण सहानुभूति है । मैं कोई कठोर शब्द लिखकर या किसी सहानुभूतिपूर्ण शब्दको न लिखनेकी कठोरता बरतकर तुम्हारा हृदय दुखाना नहीं चाहता मेरी यही कामना है कि मौनका सप्ताह तुम्हारे लिए शान्ति और सुविधाका सप्ताह हो । इस सप्ताह में बाके काममें हाथ बँटानेकी बात मत सोचो। चरखेका उपयोग करो। वही सच्चा साथी है। हिन्दीका अध्ययन करो और गहराईसे मनन करो । जो मनमें आये वही लिखो। फिलहाल बहुत ज्यादा मत पढ़ो ।
बापू
अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० ३२०१ ) की फोटो - नकलसे ।
१२४. पत्र : वाइसरायको[२]
[ बारडोली
१ फरवरी, १९२२)[३]
परमश्रेष्ठ वाइसराय
बारडोली बम्बई अहातेकी सूरत जिला स्थित एक छोटी-सी तहसील है । उसकी कुल आबादी लगभग ८७,००० है ।
भगत मासकी २९ तारीखको यह निर्णय किया गया कि चूंकि पिछले नवम्बर महीने के प्रथम सप्ताह में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीने अपनी दिल्लीकी बैठकमें पास
- ↑ इस पत्र में मौन रखनेका जो उल्लेख आया है वह शायद पहला ही अवसर था जब सुन्दरम्ने एक सप्ताहका मौन शुरू कर रखा था और जो १ फरवरी, १९२२ को या उसके पूर्वं समाप्त हुआ था, क्योंकि पहली फरवरीको उन्होंने दूसरी बार मौन दिया था; देखिए “ पत्र : वी० ए० सुन्दरम्को ", १-२-१९२२ ।
- ↑ यह ४ फरवरी, १९२२ को अखबारों में प्रकाशित हुआ था । सरकारके उत्तरके लिए देखिए परिशिष्ट २ ।
- ↑ इंडिया इन १९२१-२२ से ।