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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

करें, साफ किये बिना उनके जूठे लोटे में पानी पियें। मैं ऐसा नहीं कहता। हिन्दू धर्म में एक-दूसरे के जूठे बर्तन में पानी पीना लाजिमी नहीं है। आप इस प्रस्तावसे अन्त्यजोंके साथ शूद्रों जैसा बरताव करनेके लिए बँध जाते हैं। यदि आप इतनी बात समझ गये हों तभी आप अपना हाथ उठायें।

आपकी उत्सुकताके सम्बन्ध में तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता। आप उत्सुक हैं, इसीलिए तो आप सबको बुला रहे हैं। किन्तु जब आप अस्पृश्यताको मिटा दें और स्वदेशीके व्रतका पालन करें तब मैं मानूं कि आप सचमुच जेल जाने और अपनी जमीनें जब्त कराने के लिए तैयार हैं और देशको स्वतन्त्र कराना चाहते हैं। और जो लोग भारत-जैसे महान् देशको स्वतन्त्र करनेके लिए निकले हैं, उनको त्याग भी बड़ा करना चाहिए।

कोई यह न मान बैठे कि मैं यहीं रहूँगा, इसलिए आपको बचा लूंगा। मैं तो जहाँ जाता हूँ वहाँ उलटे उपद्रव ही होता है। वहाँ सबके हृदयोंमें खलबली ही मचती है। मैं आपके हृदयोंमें शान्ति उत्पन्न करने के लिए नहीं बल्कि अशान्ति उत्पन्न करने के लिए आया हूँ। अशान्ति उत्पन्न किये बिना शान्ति नहीं होती। किन्तु यह अशान्ति अपने भीतर होनी चाहिए। जब उससे हमारे हृदयों में खलबली मचेगी और जब हम कष्टोंकी अग्निमें भली-भाँति तपेंगे तभी हम सच्ची शान्ति प्राप्त कर सकेंगे।

आप यह मान बैठे हैं कि आपका जेल जाना ही काफी होगा। किन्तु सिर्फ जेल जानेसे काम न चलेगा। सरकार आपकी फसलोंको उठा ले जायेगी। हाँ, मैं आपको साहूकारी चोरी करना तो अवश्य सिखाऊँगा। इस सरकारके तो दस सिर और बीस हाथ हैं। आप जिस दिन लगान देनेसे इनकार करेंगे उसके दूसरे दिन ही सरकारके घुड़सवार आ खड़े होंगे। उस वक्त हम उन सिपाहियोंसे लड़ेंगे नहीं। वे हमारी कपास, शाक-भाजी और हमारा अनाज भले ही ले जायें। किन्तु यदि सरकार इन चीजोंको वहाँ रहने देगी तो हम उन्हें अपने घर अवश्य ले जायेंगे। यदि इस प्रकार अपने मालको घर ले जाना चोरी कहा जा सकता हो तो सरकार भले हमें दण्ड दे और मार डाले। मोहनलाल पण्ड्याने[१] इसी प्रकार मेरी सलाहसे प्याजकी चोरी की थी और इसी कारण उनकी ख्याति "प्याज-चोर" की हुई। किन्तु वह चोरी साहूकारी चोरी थी। सरकार आपके पशुओंको छीनेगी। तब जो लोग पशओंको लेने आयें उन्हें आप गालियाँ न दें बल्कि उन्हें अपने पशुओंको स्वयं खोलकर दे दें। जब आप ऐसा व्यवहार करेंगे तभी आप कर-बन्दीके योग्य माने जायेंगे। आपको इन सभी नुकसानोंको बरदाश्त करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। यदि सरकारने आपका यह सारा माल हजम कर लिया तो इसका अर्थ यही होगा कि दो लाखके लगानके बजाय आप दस लाखके मालकी बर्बादी होने देंगे।

क्या आपकी इतनी तैयारी है? यदि हो तो मैं प्रस्ताव रखूं। यदि कोई कुछ पूछना चाहे या कोई बात किसीकी समझ में न आई हो तो वह स्पष्टीकरण करा ले।

  1. खेड़ा सत्याग्रहके कर्मठ कार्यकर्त्ता; देखिए खण्ड १४।