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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आवश्यकताका पूरा सूत और कपड़ा बारडोलीमें ही तैयार करेंगे तो उन लोगोंका बाल भी बाँका न होगा और इतना ही नहीं कि उनकी जब्त जमीनें उन्हें वापस मिल जायेंगी; बल्कि वे दूसरे लोगोंके कष्टोंको दूर करेंगे और स्वयं मुक्त होकर भारतको स्वतन्त्र करनेमें जबरदस्त हाथ बँटायेंगे।

इस लड़ाईमें ढोंग नहीं चलेगा, दिखावा काम न देगा, झूठ और गोपनीयताकी कोई गुंजाइश नहीं होगी। सभी लोग अपने बल-बूतेपर अथवा ईश्वरके ऊपर निर्भर रहकर लड़ेंगे। इसलिए लोग जो कुछ करें उसे भली-भाँति विचार करनेके बाद ही करें। बारडोली ताल्लुकेके किसान समझदार हैं। वे देश और धर्मकी खातिर कष्ट सहन करने के लिए और बिलकुल बर्बाद होने के लिए तैयार हैं, ऐसा समझकर मैं नित्य ही उनकी प्रशंसा किया करता हूँ।

[गुजराती से]
नवजीवन, २९-१-१९२२

११५. हर सालकी एक सामान्य विधि

कांग्रेसका नया वर्ष

कांग्रेसजनोंको समझना चाहिए कि जो लोग कांग्रेसको जीवित रखना चाहते हैं। उन्हें कांग्रेसका वार्षिक चन्दा भी अवश्य देना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति चार आने चन्दा न देगा तो इस वर्ष कांग्रेसका अधिवेशन नहीं हो सकता। जितने लोग चार-चार आने चन्दा देंगे उतने ही लोगोंके हाथमें यह संस्था चली जायेगी। कांग्रेसकी शक्ति जैसे उसके स्वयंसेवकोंपर निर्भर है वैसे ही चार आने देनेवाले सदस्योंपर भी निर्भर है। कीमत चार आनेकी नहीं, बल्कि नामकी है।[१]मुझे भय है कि कांग्रेसके दफ्तर में पिछले साल एक करोड़ सदस्योंके नाम दर्ज नहीं हुए। कुछ भी हो, यदि कांग्रेस जीवित संस्था हो और लोगोंको गत एक वर्ष में उसके सम्बन्धमें दिलचस्पी पैदा हुई हो तो इस वर्ष निश्चय ही पिछले वर्ष से अधिक सदस्य बनने चाहिए। ज्यों-ज्यों सदस्योंकी संख्या बढ़ेगी त्यों-त्यों कांग्रेस की शक्ति भी बढ़ेगी।

फिर, इस वर्ष कांग्रेसमें १८ वर्षके युवक भी सदस्योंमें अपने नाम दर्ज करा सकते हैं। इस बारे में स्त्री-पुरुष दोनोंको समान अधिकार प्राप्त है। मुझे आशा है कि १८ वर्षकी आयुकी सभी स्त्रियाँ और पुरुष, जिन्हें स्वराज्य प्यारा है और जो उसे शान्ति और सत्यके बलपर प्राप्त करना चाहते हैं, वे बिना बुलाये स्वयं ताल्लुके अथवा गाँवकी कांग्रेस कमेटीके दफ्तर में अपने नाम सदस्योंमें लिखाये बिना न रहेंगे। यदि लोगोंमें सच्चा उत्साह होगा और कांग्रेसके प्रति सहानुभूति होगी तो इस कार्यके लिए स्वयंसेवकोंको लगानेकी जरूरत नहीं होनी चाहिए। लोगोंका चार आने देना, कांग्रेसमें विश्वास प्रकट करने के समान है।

  1. अर्थात् कांग्रेसके सदस्य के रूपमें अपना नाम दर्ज करानेकी है।