पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/३१५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९१
सरकारकी सभ्यता

 

परन्तु यदि इस स्पष्टीकरणकी भाषा किसी अंग्रेज अधिकारीने देखी, विचारी और पसन्द की हो तो इसे मैं एक बड़ा परिवर्तन मानता हूँ और अपने संग्रामका शुभ श्रीगणेश समझता हूँ। दोनों पक्ष अपने-अपने स्थानपर डटे रहकर भी विनयपूर्वक, बिना असभ्यता दिखाये लड़ सकें, यह कोई छोटी बात नहीं है। हम तो यही चाहते हैं कि सदा ऐसा ही युद्ध हुआ करे। राम-रावण-युद्ध के वर्णनमें हमारे कवियोंने सभ्यताकी पूरी रक्षा की है। मन्दोदरीका परिचय उन्होंने सतीके रूपमें कराया है। मेघनादकी मृत्यु के बाद रामचन्द्रने सुलोचनाको सब तरहकी सुविधाएँ दीं। आदिकवि वाल्मीकि तथा भक्तकवि तुलसीदासने रावण और अन्य राक्षस वीरोंकी तपश्चर्याकी मुक्तकण्ठसे प्रशंसा की है।

मेरी महत्त्वाकांक्षा तो यही है कि ऐसा ही सभ्यतापूर्ण युद्ध हम भी करें। असहयोगीको दूसरी बात शोभा ही नहीं देती। असभ्यता एक प्रकारकी हिंसा है। और जबतक हम अहिंसाव्रत के पालन करने का दावा करनेवाले लोग इस प्रतिज्ञासे बँधे हैं तबतक हम चाहे हिन्दू हों चाहे मुसलमान, सभ्यताका पालन करनेके लिए भी बँधे हुए हैं। और यदि एक पक्ष भी अन्ततक सभ्यताका पालन करता रहे तो उसका असर प्रतिपक्षीपर पड़े बिना नहीं रह सकता। मुझे उस सभ्यताका आरम्भ इस स्पष्टीकरणमें देखनेकी इच्छा हो रही है। सरकार सभ्यतासे बरतती हुई भले ही हमारे खेत छीन ले और हमें गोलियोंसे भून दें।

इस प्रस्तावना के बाद उक्त ‘स्पष्टीकरण’ नीचे दिया जा रहा है:[१]

इस स्पष्टीकरणका स्वागत करते हुए मैं यह भी कह देना चाहता हूँ कि बारडोली के किसी भी पाटीदारको अज्ञानमें नहीं रखा गया है। सभी स्त्री-पुरुषोंसे यह कह दिया गया है कि सरकार,

१. पूरी फसलको बेच सकती है,

२. लाखोंकी फसलको कौड़ियोंके मोल नीलाम कर सकती है,

३. ढोर-डंगर और बर्तन आदि भी उठा ले जा सकती है,

४. इनामी जमीनोंको भी जब्त कर सकती है,

५. लोगों को जेल भेज सकती है,

६. लोगोंको रेल, तार और डाककी सुविधाओंसे वंचित करके और बारडोलीका घेरा डालकर उन्हें हैरान करनेका प्रयत्न कर सकती है। जो लोग इन समस्त कष्टोंको सहन कर सकें वे ही सामने आयें।

इसके अतिरिक्त बारडोलीके लोगोंको यह भी बता दिया गया है कि यदि उनमें से अधिकांश अपने निश्चयपर दृढ़ रहेंगे, सत्यपर ही आरूढ़ रहेंगे, अहिंसाका पूर्ण पालन करेंगे, बिलकुल निर्भय हो जायेंगे, एक होकर रहेंगे, पूरा असहयोग करेंगे, ढेढ़ों और भंगियोंसे मित्रभावसे बरतेंगे और उन्हें अस्पृश्य न मानेंगे, स्वदेशीको पूरी तरह अपनायेंगे और केवल हाथ-कते सूतका हाथ-बुना कपड़ा ही पहनेंगे तथा अपनी

  1. यह यहां नहीं दिया जा रहा है।