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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं और उन्हें ऐसा ही मानना भी चाहिए। वह निःसहायोंका सतत तत्पर और एक-मात्र सहायक है। मलावारके हिन्दुओंको भी यही भाव ग्रहण करना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २६-१-१९२२
 

११०. आन्ध्रमें दमन

इन पंक्तियोंके छपते-छपते शायद आन्ध्र देशकी ओर सभी लोगोंका ध्यान आकर्षित हो चुका होगा। वहाँकी साहसी जनता कुछ तहसीलोंमें सार्वजनिक रूपसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने की तैयारी कर रही है और इसीलिए उसने अभी फिलहाल करोंकी अदायगी मुल्तवी कर दी है। मैंने आन्ध्र कमेटीको आगाह कर दिया है कि यदि गोलमेज सम्मेलन हो गया तो मुल्तवी करोंकी अदायगी तुरन्त करनेके लिए उनको तैयार रहना चाहिए और कठिन संघर्षकी तैयारी केवल तभी करनी चाहिए जब जनता अहिंसापूर्ण आचरणमें पूरी तरह दीक्षित-अनुशासित हो जाये और दिल्लीकी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा रखी गई शर्तों को पूरी करने योग्य अपने-आपको बना ले।[१] जो हो, श्री वेंकटप्पैया मुझे सूचित करते हैं कि जनता पूर्णतया अनुशासित और तत्पर है और वह निर्धारित शर्तें पूरी कर सकती है। जाहिर है कि मद्रास सरकार स्पष्ट ही करोंकी अदायगीके स्थगनसे बुरी तरह भयभीत हो गई है। वह गण्टूरमें और अधिक पुलिस भेज रही है और शक्तिका प्रदर्शन कर रही है। सरकार कर वसूलीके साधारण तरीके छोड़ रही है और तुर्त-फुर्त वसूलीके असाधारण तरीके अपनानेकी धमकी दे रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सरकार असाधारण शक्तियाँ ग्रहण करके अपनी स्थिति मजबूत बना रही है। ऐसी परिस्थितिमें मुझे प्रान्तीय कमेटी के मन्त्रीसे मिला दमनका यह विवरंण[२] ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित करनेके लिए क्षमा याचना करनेकी कोई जरूरत नहीं। यह विवरण ३ जनवरी से १५ जनवरीतक की घटनाओंका है। इस विवरणसे पाठक आन्दोलनकी आन्तरिक शक्तियोंको समझ सकेंगे और यह भी जान सकेंगे कि आन्ध्रकी जनता किस सीमातक बलिदान करने के लिए तैयार हो रही है। ईश्वर उसको साहस, सहिष्णुता और ठीक समयपर ठीक काम करनेका विवेक दे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २६-१-१९२२
  1. देखिए “पत्र: कोण्डा वेंकटप्पैयाको”, १७-१-१९२२ और “तार: कोण्डा वेंकटप्पैया और अन्य लोगोंको”, २०-१-१९२२ के पूर्व।
  2. विवरण यहाँ नहीं दिया जा रहा है।