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आतंकका नंगा नाच

करने के दूसरे अनेक उपाय वे ढूंढकर निकाल सकते हैं, और फिर जब लोग शुद्ध और प्रबुद्ध हो जायें, तब कर न देनेके लिए आगे कदम बढ़ायें।

पर आन्ध्र-देशमें तो पहले ही बहुत गम्भीर स्वरूपकी तैयारियाँ हो चुकी हैं। इसलिए मैं वहाँके कार्यकर्त्ताओंके उत्साहको ठण्डा नहीं करना चाहता। यदि उन्हें यह इत्मीनान हो कि चुने हुए क्षेत्रोंके लोग दिल्लीमें निर्धारित शर्तोंकी कसौटीपर खरे उतरते हैं और बिना वैर या बदला लिये असीम कष्ट सहन करनेकी शक्ति प्राप्त कर चुके हैं, तो फिर मुझे कुछ भी नहीं कहना है। तब तो मैं बस यही कहूँगा कि “परमात्मा आन्ध्रके वीरोंको आशीष दे।” पर वे याद रखें कि यदि किसी किस्मकी दुर्घटना हुई तो उसकी जिम्मेवारी उन्हींपर होगी। हाँ, यदि वे कर न देनेका अभियान शुरू न करें तो उन्हें कोई बुरा न कहेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २६-१-१९२२
 

१०८. आतंकका नंगा नाच

विविध सूत्रोंसे दमनके जो विवरण[१] इकट्ठे किये गये हैं, नीचे मैं उनका सार दे रहा हूँ। हर मामलेमें विवरण भेजनेवाले ऐसे जिम्मेदार लोग हैं जितने कि हो सकते हैं। फिर भी पत्र लेखकों द्वारा वर्णित कुछ कुत्सित बर्बरताएँ ऐसी हैं कि उनपर सहसा विश्वास नहीं होता। पर विपदाके मारे इस देशमें सब-कुछ सम्भव है। पाठकोंसे मेरा आग्रह है कि वे मेरी तरह शान्त रहें और इन कष्टोंकी गाथा सुनकर मेरी तरह प्रसन्न भी हों। ही हर पाठक मेरे साथ यह प्रार्थना करे कि ईश्वर अपने इस वचन-का पालन करेगा कि वह हमें हमारी सहन-शक्तिकी सीमासे अधिक नहीं आजमायेगा, और वह जो भी कष्ट हमें देना चाहेगा उन्हें आसानीसे सहन करने का साहस और धैर्य भी हमें प्रदान करेगा। उसकी इच्छा के बिना कुछ नहीं होता। हमें अहिंसाकी अपनी प्रतिज्ञापर कायम रहना चाहिए और जो हमपर अत्याचार कर रहे हैं उनके प्रति क्रोध या दुर्भावना नहीं रखनी चाहिए। हमें अधिकारियोंके लिए उत्तेजनाके अनावश्यक कारण भी पैदा नहीं करने चाहिए। लेकिन जहाँतक हमारे उचित और वैध आचरणसे उत्तेजना पैदा होनेका सवाल है, उससे तो हमें जानकी जोखिम होनेपर भी जी नहीं चुराना है। उदाहरण के लिए “सरकार एक है” का नारा लगानेसे इनकार करनेके कारण उत्तेजना पैदा होती है तो हो; जयरामदासका अनुसरण करते हुए बड़े-बड़े अधिकारियोंके सामने भी दीन-हीन ढंगसे अपनी हथेलियाँ फैलानेसे

 
  1. ये विवरण यंग इंडिया में निम्नलिखित शीर्षकोंसे छपे थे: “असममें दुष्कृत्य”, “बारीसालमें अमानवीयता”, “सुलतानपुर में कोड़ेबाजी”, “मेरठका क्रन्दन”, “चितोड़में निरंकुशता” और “नरसिंहपुर कान्फ्रेंस में गंदगी”।