जारी होनेके तुरन्त बाद की गई थी...। जिला न्यायाधीशने सभाको विद्रोहात्मक बताकर उसपर प्रतिबन्ध लगाया किन्तु चूंकि यह आदेश गैरकानूनी था इसलिए तय हुआ कि उसकी अवज्ञा की जाये ।
लालाजी, सन्तानम्,' गोपीचन्द, और लालखाँ अब केन्द्रीय कारागारमें हैं । वे प्रसन्न और सन्तुष्ट हैं । उन्हें बिस्तर और पुस्तकें भेज दी गई; किन्तु बाहरका भोजन लेनेसे उन्होंने इनकार कर दिया और जेलका भोजन ले रहे हैं ।
मुकदमेकी सुनवाई ७ दिसम्बरको होने जा रही है और कहा जाता है कि सुनवाई भारतीय दण्ड संहिता की धारा १४५ के अधीन होनेवाली है ।
पूरा प्रान्त शान्त है और कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई है । हम खादीपर और विदेशीके बहिष्कारपर जोर दे रहे हैं । . . .
हमारे खालसा (सिख) मित्र अब भी अमृतसर में सार्वजनिक सभाएँ करने- में लगे हुए हैं परन्तु और गिरफ्तारियाँ नहीं हो रही हैं । कुल २१ गिरफ्तारियाँ हुई हैं जिनमें से ११ पर पहले ही अभियोग चलाया जा चुका है । इसी तरह खालसा दीवानोंने लाहौर में सभाएँ शुरू कर दी हैं और अबतक एक गिरफ्तारी हुई है ।
हम सब अहिंसापूर्ण वातावरण बनाये रखनेका अपनी ओरसे पूरा-पूरा प्रयत्न कर रहे हैं और उसमें सफल होनेकी पूरी आशा है, क्योंकि लोग धीरे-धीरे इस भावनाको आत्मसात् कर रहे हैं और उत्तेजनात्मक परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते । . . .
आशा है कि आज सुबह जो पत्र मैंने लिखा था आपको मिल गया होगा । शामके ४ बजे ब्रैडलॉ हॉलमें एक सार्वजनिक सभाकी सूचना दी गई थी जिसकी अध्यक्षता सरदार प्रेमसिंह सोधबंस करनेवाले थे । दोपहर दो बजे तक लाठियों और राइफलोंसे लैस एक खासे बड़े पुलिस दलने हॉलको घेर लिया और वहाँ पहुँचने के सब रास्तोंको रोक दिया । शामके ४ बजेके बादतक वे पहरेपर रहे और किसीको भी वहाँ प्रवेश करनेकी इजाजत नहीं दी गई ।... सरदार प्रेमसिंह ३-३० बजे शामको आये परन्तु पुलिस-दलने उन्हें रोका और एक यूरोपीय पुलिस अधिकारीने उन्हें चले जानेको कहा । वे भीड़के साथ-साथ वापस मुड़े और कुछ दूरीपर एक सभा की जिसमें प्रस्ताव पास करके लालाजी और उनके साथियोंको बधाई दी गई । उसके बाद सभा विसर्जित कर दी । किन्तु मैंने
१. के० सन्तानम् ; राजनीतिज्ञ, लेखक और पत्रकार ; १९१९ में पंजाबके उपद्रवोंपर रिपोर्ट देनेके लिए कांग्रेस द्वारा नियुक्त उप-समितिके सचिव; विन्ध्य प्रदेशके लेफ्टीनेंट गवर्नर, अध्यक्ष, वित्त आयोग ।
२. डा० गोपीचन्द भार्गव (१८९०-१९६६ ); लाला लाजपतरायके मार्ग-दर्शनमें राजनीति में प्रविष्ट;१९४२-४३ में कारावास; पंजाबके मुख्य मन्त्री ।