पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/२९४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२७०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

टाउन हाल स्वर्गीय महारानी विक्टोरियाकी स्मृतिमें सार्वजनिक चन्देसे बनवाया गया था। कोई पाँच-छः सालतक इसकी कोई देखभाल नहीं की गई। पर पिछले दसेक सालसे यह इमारत नगरपालिकाकी देख-रेख में है। १८ तारीखको रातकी मीटिंग में हुए समझौतेपर यदि अमल नहीं हुआ तो लोगों में उत्तेजना बढ़ जायेगी और मुझे डर है कि उससे अन्तमें हिंसा हो सकती है। स्थानीय नेता और स्वयंसेवक झुकने को तैयार नहीं हैं। में यह पत्र १९ तारीखको सुबह १० बजे लिख रहा हूँ। रोहतक के पतेपर तार या पत्र भेजकर कृपया हमारा पथ-प्रदर्शन कीजिए कि क्या करना चाहिए।

यह पत्र (मूल हिन्दीमें है) रोहतक जिला कांग्रेस कमेटीके कार्यवाहक प्रधान लाला दौलतराम गुप्तने लिखा है। झज्जरके कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओंका कार्य बड़े जीवटका और प्रेरणादायी है। पर इसमें बहुत ज्यादा खतरा भी है। यह हिंसा और अराजकताकी सीमा तक पहुँच गया है। अपनी खुदकी सम्पत्तिको अपने अधिकारमें करनेकी लोगोंकी सदाकांक्षाको मैं पूरी तरह अनुभव कर सकता हूँ। नगरपालिकाएँ भारतके गले मढ़ा गया शायद सबसे बड़ा धोखा है। सरकार अबतक उन्हें अपनी सत्ताको मजबूत करनेके लिए प्रयुक्त करती आई है। लेकिन जहाँ नागरिकोंमें एकता कायम हो गई है वहाँ वे एक क्षणमें नागरिक स्वशासन प्राप्त कर सकते हैं। बम्बई अहाते (प्रेसीडेंसी) की तीन बड़ी नगरपालिकाओं――अहमदाबाद, सूरत और नडियादमें जो शान्त, सुव्यवस्थित और विकासोन्मुख क्रान्ति चल रही है, मैंने अभीतक उसका विवरण नहीं दिया है। उसकी बात कभी फिर होगी। वह चित्र अभी पूर्ण नहीं हुआ है। परन्तु झज्जर, यदि वह दृढ़ और पूर्णतया अहिंसात्मक रहे तो इन तीन नगरपालिकाओंसे भी आगे बढ़ जायेगा। यदि वहाँके नागरिक एकमत हैं तो टाउन हालपर बिना किसी बखेड़ेके कब्जा कायम रह सकता है। यदि कोई वास्तविक विरोध है तो नहीं रह सकता। सार्वजनिक हिंसाका फूट पड़ना पहले दर्जेका अपराध होगा, क्योंकि वह स्वेच्छा से और बिना किसी उत्तेजनाके किया गया कार्य होगा। मौलाना अबुल कलामकी भाषा में हिन्दुस्तान सबसे बड़ा गुरुद्वारा है; सबसे बड़ा टाउन हाल है। और यदि हम अभी-तक उसे अपने कब्जे में करने में सफल नहीं हुए हैं, तो हम झज्जरके टाउन हालके लिए भी प्रतीक्षा कर सकते हैं। (१) यदि हिंसाका रत्ती-भर भी डर हो, (२) यदि निर्वाचित सदस्य कब्जा करनेके विरुद्ध हों, (३) यदि रोहतककी कमेटी, या लाहौरकी कमेटी कब्जेके विरुद्ध राय दे, (४) यदि पुलिस संगीनोंके बलपर उसकी माँग करे, और कब्जा करनेवाले बिना प्रतिशोध या रोषके अपनी जगहपर मरनेको तैयार न हों, और यदि यह विश्वास न हो कि अन्य नागरिक उत्तेजित, अधीर और हिंसापर उतारू नहीं होंगे, तो कांग्रेस अधिकारियोंको टाउन हाल अवश्य वापस कर देना चाहिए।

कब्जा करनेकी कार्रवाई मुझे जल्दबाजीकी लगती है। लेकिन यदि अहिंसात्मक ढंगसे उसकी प्रतिरक्षा की जा सके तो यह दोष दूर भी हो सकता है।

कब्जा वापस दे देनेमें कोई नुकसान नहीं है। गलत या जल्दबाजीके हर कदमको वापस लेनेसे हमारी शक्ति बढ़ेगी। जो-कुछ गलत तरीकेसे लिया गया है, उसे अवश्य