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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गौरव हैं। ये कोई दीवाने लोग नहीं हैं। ये कर्मठ व्यवसायी हैं जिन्होंने देश और धर्मकी पुकारपर अपना व्यवसाय छोड़ दिया है। ये शान्तिको भंग करनेवाले लोग नहीं हैं। ये तो उसके रक्षक हैं। जो सरकार इस तरहके नागरिकोंको बन्द करनेकी जरूरत महसूस करती है, वह निश्चय ही दिवालियेपनकी स्थितिपर पहुँच गई है।

अमृतसरमें

जिला कांग्रेस कमेटीके प्रधान लाला गिरधारीलाल, खिलाफत समितिके प्रधान मौलाना मुहम्मद दाऊद गजनवी, नगर कांग्रेस कमेटीके प्रधान मास्टर सुनामराय और जिला सिख लीग के प्रधान सरदार रावलसिंहको गिरफ्तार कर लिया गया था और अब उन्हें सजा सुना दी गई है। उनका अपराध यह था कि उन्होंने, राजद्रोहात्मक सभाओं सम्बन्धी घोषणा के बावजूद, एक सार्वजनिक सभा करनेकी धृष्टता की थी। अमृतसर एक अच्छी खासी संख्या में लोगोंको जेल भेज चुका है। अब तो उससे उसके सारे प्रधान छीन लिये गये हैं? उनमें से हर एकको दो सालकी कड़ी कैद और ५०० रुपये जुर्माना, या जुर्माना अदा न करनेपर तीन महीनेकी और कैदकी सजा मिली है। सबको मियाँवाली जेलमें भेज दिया गया है। मजेकी बात यह है कि चाहे जिधर भी नजर दौड़ाओ, कोई भी कांग्रेस कमेटी आज अपने पदाधिकारियोंसे खाली नहीं है। लोग यह बात जान गये हैं कि एक सुव्यवस्थित संगठनमें पदोंपर काम करनेवाले व्यक्ति चाहे मर जायें, जेल चले जायें या धोखा दे जायें पर पदाधिकारी सदा रहते हैं। यह विचार सचमुच खुद बहुत शानदार है, क्योंकि इससे मनुष्य और उसकी मानवीय स्थितिकी एकता व्यक्त होती है।

लाहौरमें

पंजाबकी राजधानी किसीसे पीछे नहीं है। लाहौरके लाला दुनीचन्द १४ तारीखके अपने पत्रमें लिखते हैं:[१]

इस प्रकारके कार्य से राष्ट्रको निश्चय ही नया रूप मिलेगा। इसीलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पंजाब सरकारने सविनय अवज्ञा आन्दोलनसे निपटनेके लिए “अबतक अपनाये गये उपायोंसे कहीं अधिक व्यवस्थित और कठोर” उपाय काममें लानेकी धमकी दी है। सम्बद्ध नोटिसमें कहा गया है:

लोगोंको भड़कानेके किसी भी प्रयत्नको नजरअन्दाज करना, या इस तरहकी शरारतमें सरकारी कर्मचारियों अथवा पेंशनयाफ्ता लोगोंके सहयोगको सहन करना सम्भव नहीं होगा। हमें खेदके साथ कहना पड़ता है कि व्यवस्था कायम रखनेके लिए जितने भी आवश्यक होंगे उतने पुलिसके आदमी और कार्यकारी कर्मचारी और लेने होंगे, और इस प्रकार प्रान्तके भारको काफी बढ़ाना आवश्यक हो जायेगा।
  1. यह पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें एक सार्वजनिक सभा और खइरके प्रचारार्थ स्त्रियोंके कार्योंका वर्णन था।