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टिप्पणियाँ

मदद मिलेगी। उन्हें जब सजा सुनाई गई तब वे चटगाँव जिला कांग्रेस कमेटीके मन्त्री थे।

सम्राट्के होटल में मुझे ढाई सालके लिए मेहमानकी हैसियतसे दाखिल कर लिया गया है। पिछले चार-पाँच सालों में वकालतके अपने पेशेको छोड़नेकी बात बराबर सोचता रहा हूँ। और यह चाहता रहा हूँ कि हिमालय में ऋषिकेश में जाकर अपने बाकी दिन वहाँ विरक्तकी तरह धर्मानुशील में बिताऊँ। अभीतक मैं ऐसा नहीं कर सका...।
अब अति कृपालु परमपिताने मुझे सहसा संसारके कोलाहलसे हटाकर और जेलकी दीवारोंके भीतर पूर्ण विश्राम प्रदान कर मुझपर महान् अनुकम्पा की है।
प्रिय महात्माजी, मुझे अब पूर्ण विश्वास हो गया है कि यह अस्थायी विश्राम मुझे मानव जीवनके चरम ध्येय―अक्षय निर्वाणकी प्राप्तिके योग्य बना देगा।

मैं पाठकको यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि प्रसन्नबाबूकी जेलके अन्दर परमानन्द-प्राप्तिकी जो इच्छा है, वह कोई निराधार स्वप्न नहीं है। ऋषिकेशको मैं जानता हूँ। वहाँ जिस तरह सन्त रहते हैं उसी तरह पृथ्वीके लुच्चे और बदमाश भी रहते हैं। जेल-जीवनको मैं जानता हूँ। दक्षिण आफ्रिकामें मेरे और वहाँके एक सबसे बड़े हत्यारेके बीच बस एक काली दीवार ही थी। हम दोनोंको जान-बूझकर अकेली कोठरियोंमें रखा गया था, क्योंकि हम दोनों ही समाजके लिए खतरनाक माने गये थे। उस कोठरीमें कोई दो महीने मुझे अत्यन्त कष्ट भोगना पड़ा। लेकिन ज्यादासे-ज्यादा कष्ट भोगते हुए ही मैंने ज्यादासे-ज्यादा सीखा। यह वह वक्त था जब सबसे ज्यादा अच्छा फल मिला। कष्ट जबतक कायम रहा उसे सहना कठिन था। परन्तु अब वह मेरे जीवनकी एक अमूल्य निधि है। स्वाधीनता-प्रेमी लोगोंके लिए हमने जेलोंको आज अलौकिक शरणालयोंमें बदल दिया है। वे आसानीसे निर्वाण-प्राप्तिके स्थलोंमें बदले जा सकते हैं। जेलकी कोठरी, जिसमें सुकरातने जहरका प्याला पिया था, निःसन्देह परमानन्दका मार्ग थी। हम आज भी उस अमर दृश्यको याद करते हैं और हमारी उस यादमें वे आज भी जीवित हैं।

“स्वराज्य आश्रम”

प्रसन्नबाबू जेलको परम पदकी प्राप्तिके एक साधनके रूपमें चित्रित करते हैं। बाबू तरुणराम फूकन उसे ‘स्वराज्य आश्रम’ कहते हैं। श्रीयुत फूकन असमके एक नेता हैं। पाठकको यह मालूम होना चाहिए कि वे एक नम्बरके निशानेबाज और बढ़िया खिलाड़ी हैं। परन्तु उन्होंने कष्टका रहस्य जान लिया है। सिलचर जेलसे वे लिखते हैं:

मेरा खयाल है कि मैं सरकारके दृष्टिकोणसे काफी शरारत कर रहा था, सो उसने मुझे गिरफ्तार करना और जेलमें बन्द करना उचित समझा। यहाँ मेरे लिए जो शान्ति और सुरक्षाको व्यवस्था की गई है उसके लिए में