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टिप्पणीयाँ

रखना चाहिए जबतक सारा देश हमारे सिद्धान्तकी सत्यताका कायल न हो जाये ।" इसके सिवा धर्मका दूसरा मार्ग है ही नहीं । हम उन लोगोंके लिए स्वराज्य चाहते हैं जो स्वतन्त्रताको प्यार करते हैं और जो उसके लिए कष्ट सहन करनेको उद्यत हैं । खिलाफतका' समर्थन भी हम ऐसे ही लोगोंके द्वारा चाहते हैं; क्योंकि वे ही सच्चे हिन्दू, सच्चे मुसलमान और सच्चे सिख हैं ।

इसका सरल सौन्दर्य

अपने कार्यक्रमकी सादगीको समझना ही इसकी सच्ची खूबसूरतीको समझ लेना है । हमें इससे ज्यादा और कुछ नहीं करना है कि हम सूत कातें और गिरफ्तार हों और यदि हमें कातने दिया जाये तो हम जेलोंमें भी कातें । कातते या जेल जाते समय हमें अपनी मानसिक स्थितिमें ठीक सन्तुलन रखना चाहिए अर्थात् हमें अपने मनमें अहिंसा और विभिन्न धर्मोके प्रति मैत्रीका भाव दृढ़ रखना चाहिए । यदि हम अंग्रेजों, सहयोगियों और उन लोगोंके प्रति जो हमसे सहमत नहीं ह, घृणा करना छोड़ दें; यदि हम एक-दूसरे के प्रति अविश्वास या भय न रखें और यदि हम पूरे राष्ट्रकी जीविकाकी दृष्टिसे कष्ट सहने और काम करने अर्थात् सूत कातने के लिये कृतसंकल्प हो जायें तो क्या हम यह नहीं मानते कि फिर संसारकी कोई भी शक्ति हमारे आड़े नहीं आ सकती । यदि हमें केवल अपने आपपर भरोसा हो तो फिर संख्या में हमारे थोड़े या बहुत होनेसे कोई फर्क नहीं पड़ता । और न हमारी गिरफ्तारी या हमपर गोलीबारी- से ही कोई फर्क पड़ सकता है । मैंने यह जो कार्यक्रम बताया है सो सब प्रकारसे पारंगत लोगोंके लिए नहीं है बल्कि ऐसे व्यावहारिक लोगोंके लिए है जो अच्छे और ईमानदार हैं और जिनमें धैर्य और साहस भी है । यदि हम अच्छे तथा प्रामाणिक और साहसी भी नहीं बन सकते, तो फिर हमें स्वराज्य या धर्मकी बात करनेका क्या हक है ? क्या हम अपनेको हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, यहूदी, सिख, पारसी कह सकते हैं ? यदि नहीं कह सकते तो क्या हमारे खिलाफत और पंजाबके बारेमें बातचीत करते रहनेका कुछ मतलब है ।

सरकारका असहयोग

यदि हमें अपने कार्यक्रममें विश्वास है तो फिर सरकार यदि हर बातमें हमसे असहयोग करे तो भी हमें चिन्ता नहीं करनी चाहिए । श्री राजगोपालाचारी' और आगा सफदरने' सूचित किया है कि उन्हें पूरे तार नहीं भेजने दिये जाते । मुझे तो इसी बातका ताज्जुब होता है, कि वह हमारे तार एक जगहसे दूसरी जगह पहुँचने देती है और हमें इधर-उधर जाने और एक-दूसरेसे मिलने देती है । मैंने तो इस सरकारसे बुरेसे-

१. खिलाफत आन्दोलनका उद्देश्य टकके सुल्तानको फिर वही दर्जा दिलाना था जो उन्हें प्रथम विश्व युद्ध के पहले प्राप्त था ।

२. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (जन्म १८७९); राजनयिक, लेखक और भारतके प्रथम गवर्नर-जनरल ।

३. ३ दिसम्बर, १९२१ को लाला लाजपतरायकी गिरफ्तारी के बाद पंजाब प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष ।