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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

परवाह नहीं है। कारण, यह नियम-भंग आखिरकार चीलरोंसे भरे हुए कपड़े पहननेसे इनकार करने और निर्दोष भावसे जयजयकार करनेसे तो ज्यादा ही बुरा है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९-१-१९२२
 

९४. तार: कोण्डा वेंकटप्पैया तथा अन्य लोगोंको[१]

[२० जनवरी, १९२२ के पूर्व][२]

वहाँकी स्थिति के बारेमें तो सबसे अच्छी तरह आप ही निर्णय कर सकते हैं। अगर दिल्लीवाली शर्तें पूरी हो गई हों और आपको भरोसा हो तो मुझे हस्तक्षेप करनेका कोई अधिकार नहीं है। ईश्वर आपको सफलता दे। आपके सभी विनम्रतापूर्ण सत्प्रयत्नोंमें वह सहायक होगा। हररोज मुझे स्थितिसे अवगत कराते रहिये।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-१-१९२२

९५. पत्र: एक मित्रको[३]

२१ जनवरी, १९२२

प्रिय...,

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि जल्दबाजीमें मैं कोई कदम नहीं उठाऊँगा। मैं ईश्वरसे निरन्तर प्रार्थना करता रहता हूँ कि वह मुझे प्रकाश दे, रास्ता दिखाये।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
सेवन मंथ्स विद महात्मा गांधी
  1. यह तार श्री वेंकटप्पैया तथा अन्य लोगों द्वारा भेजे गये उस तारके उत्तरमें भेजा गया था जो उन्होंने गांधीजीके [१७ जनवरी, १९२२ के] पत्रपर विचार करनेके बाद गुण्टूरकी स्थितिका हवाला देते हुए भेजा था।
  2. कटप्पैयाने यह तार २० जनवरी, १९२२ को हिन्दूमें प्रकाशनार्थ भेजा था।
  3. यह पत्र किसको भेजा गया था यह मालूम नहीं है। साधन-सूत्रमें बताया गया है कि उन दिनों गांधीजीको “जल्दबाजीमें कोई अविवेकपूर्ण कदम न उठानेके लिए आगाह करते हुए” बहुत से लोग पत्र लिखा करते थे। और यह पत्र बारडोलीके लिए प्रस्थान करनेसे ठीक पहले उन्होंने “किसी बहुत हो खास मित्रको” लिखा था।