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जेलमें कोड़े लगाने का मामला

 

अमेरिकासे

राष्ट्रीय आन्दोलनका हिन्दुस्तानसे बाहरके हमारे लोगोंपर गहरा असर पड़ रहा है। प्रोफेसर कोसाम्बी, कैम्ब्रिज (मेसेचुसेट्स) से लिखते हैं:[१]

पत्रके साथ टी० एस० एफ० के[२] लिए जो पील है वह यहाँ कोई सात हफ्ते पहले जारी की गई थी। आजतक इकट्ठा हुआ चन्दा १५६ डालर या ५७० रुपये हैं, जिसका एक चैक में इसके साथ भेज रहा हूँ।...ज्यादातर चन्दा गरीब भारतीय छात्रोंसे इकट्ठा हुआ है जो इस देशमें गुजारेके लिए अपने श्रम या छात्रवृत्तियोंपर निर्भर हैं। यह रकम किस तरह खर्च की जाये, इसका फैसला हम पूरी तरह आपपर छोड़ते हैं।
बोस्टन टी पार्टी और बंकर हिलकी लड़ाईके समयसे लेकर आयरलैंड के सिन फेन आन्दोलनतक, पृथ्वीको सभी जातियोंने देशी या विदेशी तानाशाहीसे मुक्त होनेके लिए शक्तिके ही हथियारका प्रयोग किया था। किन्तु भारतने आपके नेतृत्वमें स्वाधीनताके लिए एक नया साधन खोज निकाला है । और यह, जैसा कि ‘नेशन’ (न्यूयार्क) ने लिखा है, “एक ऐसा रहस्य है जो सदियोंतक लड़कर भी सीखा नहीं गया था।” इस देशके अखबार, घोर रेडिकल और घोर कंजर्वेटिवक, एक स्वरसे आपको और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनकी सराहना कर रहे हैं। यह निश्चय ही हमारे लिए एक बड़ा लाभ है।...

अपील मैंने छोड़ दी है, क्योंकि उसका आशय इस पत्रमें आ गया है। यह रकम दलित वर्गोंके कार्य के लिए निर्धारित कर दी गई है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९-१-१९२२
 

९३. जेलमें कोड़े लगानेका मामला

आगरा जेल जाते समय श्री महादेव देसाई द्वारा लिखे गये पत्रका[३] अनुवाद नीचे दिया जा रहा है। हो सकता है, यह पत्र डाकमें डालकर उन्होंने जेलका नियम तोड़ा हो। मैं किसी तरहका नियम-भंग पसन्द नहीं करता, लेकिन इस मामलेमें तो मेरे सामने कोई रास्ता ही नहीं है। जैसे कर्त्तव्य-भावसे प्रेरित होकर श्री देसाईको यह पत्र डाकमें डालना पड़ा, वैसे ही कर्त्तव्य-भावसे मजबूर होकर मैं इसे छाप रहा हूँ। इस नियम भंगके लिए अगर महादेव देसाईको भी कोड़े लगाये जायें तो मुझे उसकी

  1. यहाँ केवल कुछ अंश हो दिये जा रहे हैं।
  2. तिलक स्वराज्य-कोष।
  3. यह पत्र यहाँ नहीं दिया जा रहा है। तथापि देखिए “टिप्पणियाँ”, १५-१-१९२२ का उप-शीर्षक “श्री महादेवका पत्र”।
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