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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जा रहे थे। अपराध? जेलके अफसरोंको सलाम न करना। डाक्टर मंत्रने अपने मुलाहिजेमें देखा कि जेलके रजिस्टरमें इस सजाका उल्लेखतक नहीं किया गया है। उन्हें मालूम हुआ कि कितने ही मुलजिमोंको, जिनमें कुछ हवालाती थे, रातभर हथकड़ी पहनाकर रखा जा रहा था। एक कैदीको बराबर तीन दिनतक डण्डा-बेड़ी डालकर खड़ा रखा गया था। “कारावासकी कुछ कोठरियोंमें जितने कैदियोंके लिए जगह निश्चित थी उससे लगभग दूने कैदी उनमें ठूंस दिये गये थे। जाड़ेका मौसम था। पर उनके खाने-पीने और ओढ़ने-बिछानेकी ओर किसीने पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।” बंगालकी सरकार इसका क्या जवाब देगी? वह इन घटनाओंको तो हजम नहीं कर सकती। बस, नियन्त्रण अथवा ‘जेलकी मर्यादाकी रक्षा’ ही उसके समर्थनका आधार हो सकता है। सरकारी सूचनापत्रमें कहा गया है कि “इन सजाओंका अभीष्ट प्रभाव हुआ है और तबसे अनुशासनका पालन हो रहा है।”

अच्छा, अब प्रयागराज आइए। संयुक्त-प्रान्तकी सरकारने अपने बरतावके विषय में श्री महादेव देसाईका एक प्रमाणपत्र पेश किया है। महादेवभाईका सचाईके नाते कहना यह है कि अब उनके साथ सरकार मनुष्यके जैसा व्यवहार कर रही है। पर पाठक जरा महादेवभाई द्वारा वर्णित नैनी जेलके कैदियोंके साथ किये जानेवाले दुर्व्यवहारकी रोमांचकारी कहानी और उनकी यातनाका हाल भी, जिसमें कोड़ोंकी मार भी शामिल है, पढ़ें।

सीतामढ़ीसे समाचार आये हैं कि वहाँके लोगोंपर २५,०००) जुर्माना ठोका गया है और वहाँ दाण्डिक (प्युनिटिव) पुलिस बैठा दी गई है। सीतामढ़ी बिहारका एक सब-डिवीजन है। इस जुर्माने और दाण्डिक पुलिसका अर्थ यह है कि सीतामढ़ीके लोगोंका माल असबाब जबरन उठा लिया जायेगा। ‘मदरलैंड’में[१] सिहुलिया, चन्दरपुर और भरतवा नामके गाँवोंमें हुई लूट-पाटका वर्णन[२] प्रकाशित हुआ है।

सिन्धका भी यही हाल है जैसा कि सिन्ध कांग्रेस कमेटीके निम्नलिखित पत्रसे[३] मालूम होता है।

‘हिन्दू’ ने रहमत रसूल नामक मार्शल लॉके एक पंजाबी कैदीका पत्र प्रकाशित किया है। इस समय वह और उसके दो साथी हैदराबाद सेन्ट्रल जेलमें हैं। वे गत नवम्बर मासमें अंडमान जेलसे लाये जाकर वहाँ एक ऐसी कोठरी में रखे गये थे जो मौतकी सजा पानेवाले कैदियोंके लिए हुआ करती है। उन्हें तीन दिनतक भोजन नहीं दिया गया। तीन दिन बीत जानेपर डाक्टर आया और उसने उन्हें खाना दिलवाया। जब सुपरिन्टेंडेंट वहाँ आता तब-तब उनसे कहा जाता कि अदबके साथ हाथ उठाकर (जैसा कि मुसलमान लोग नमाज पढ़ते वक्त करते हैं) कहो― “सरकार एक।” रहमत रसूलने इस अनीतिपूर्ण
  1. मजहरुल हक द्वारा सम्पादित अंग्रेजी साप्ताहिक।
  2. यहाँ नहीं दिया जा रहा है।
  3. यहाँ पत्रके कुछ अंश ही दिये हैं।