पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/२५७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३३
मार्शल लॉसे भी बदतर

पर अब तो राष्ट्र स्वतन्त्रता-प्रिय हो गया है। अब वह अपने हकोंको और मर्यादाको समझता है, अतएव ऐसे मौकोंको धैर्यके साथ निबाह लेता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९-१-१९२२
 

८९. मार्शल लॉसे भी बदतर

जबतक यह बर्बर दमन जारी है तबतक मुझे उसकी प्रामाणिक कहानियाँ पाठकोंको सुनानी ही होंगी। हाँ, जब भारतवर्ष अपने सर्वोपरि बलिदान द्वारा उसकी ‘इतिश्री’ कर डालेगा, तब यह क्रम अपने-आप बन्द हो जायेगा। मैं इस दमनको बर्बर इसलिए कहता हूँ क्योंकि यह जड़, जंगली, असंस्कृत और क्रूरतासे भरा हुआ है। मान लीजिए कि कुछ असहयोगियोंने हड़तालके मौकेपर अथवा दूसरे कामोंके सिलसिलेमें लोगोंको डराया-धमकाया और हिंसा-काण्ड भी मचाया, तो क्या उन अपराधियोंका पता लगाना और उनको सजा देना कोई कठिन बात है? यदि सरकारको गवाह नहीं मिल रहे हैं तो क्या इससे यह नहीं सिद्ध होता कि तमाम जनता इस सबसे सहानुभूति रखती है? कोई काम कितना ही निन्दनीय क्यों न हो, जब सारा राष्ट्र उसे करने लगता है तब वह अपराध नहीं रह जाता और उस देशके कानूनके अन्तर्गत उसपर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। अतएव एक गैर-जवाबदेह सरकार द्वारा किया जा रहा दमन हरगिज लोकप्रिय काम नहीं कहा जा सकता और न वह ‘लोगोंकी रक्षाके लिए किया गया काम’ ही माना जा सकता है। परन्तु आज यहाँ तो दमन इसलिए किया जा रहा है कि लोगोंका बढ़ता हुआ एक ऐसा आन्दोलन ही दबा दिया जाये जो कि इस सरकारकी काली करतूतोंके खिलाफ खड़ा किया गया है। इस दृष्टिसे यह दमन और भी ज्यादा अक्षम्य हो जाता है।

परन्तु इस लेखका हेतु यह नहीं है कि लोगोंके सामने इस दमनको अन्यायपूर्ण सिद्ध किया जाये; बल्कि उसका उद्देश्य उसकी पाशविकताको स्पष्ट करना और यह दिखाना है कि वह मार्शल लॉसे भी बदतर है।

इसके मुकाबलेमें पंजाबका फौजी कानून तो एक तरह से सभ्यतापूर्ण चीज ही थी। और उसका नाम चूँकि मार्शल लॉ था इसलिए लोगोंके दिल थर्रा देनेका अपना उद्देश्य तो उसे पूरा करना ही था और उसने वह किया। परन्तु अब प्रचलित कानूनके नामपर, परन्तु वास्तवमें बिना किसी कानून-कायदेके, जो-जो काम हो रहे हैं उनको रोकनेवाली तो कोई चीज है ही नहीं, मार्शल लॉमें सभ्यताका कुछ-न-कुछ तो खयाल रखा ही जाता है पर इस निरंकुशतामें तो उसका नामोनिशान भी नहीं है।

फरीदपुरमें कोड़ोंकी सजाको ही लीजिए। डाक्टर मंत्र कलकत्तेके एक सुप्रसिद्ध चिकित्सक हैं। उनका सम्बन्ध किसी दलसे नहीं। उन्होंने फरीदपुर जेलका मुलाहिजा करनेके बाद वहाँका सजीव वर्णन भेजा है। दो भद्र पुरुष, जिनमें एक हेडमास्टर थे, एक साथ कोड़े लगाने की एक चौखटसे बँधे हुए थे और उन्हें अन्धाधुन्ध कोड़े लगाये