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मालवीय परिषद्

 

मुझे मालूम हुआ है कि भारत के विभिन्न भागोंमें ऐसे भी कितने ही लोग स्वयं-सेवक सेनामें भरती कर लिये गये हैं जो न तो खादी ही पहनते हैं और न पूर्ण ‘अहिंसा’ के कायल हैं; अथवा यदि वे हिन्दू हैं तो यह नहीं मानते कि छुआछूतका कायल होना मनुष्य जातिके प्रति अपराध करना है। मैं यह जरूरी बात लोगोंको कहाँतक समझाऊँ कि अपने ही बनाये नियमोंका पालन न करना अपनी प्रगतिकी गाड़ीको पीछे ढकेलना है। परमेश्वर हमारे कार्यकी उत्कृष्टतासे खुश होगा उसकी मिकदारसे नहीं। जो लोग केवल वाणीसे अपनेको मुसलमान और हिन्दू कहते हैं उन्हें ईश्वरके दरबारमें स्थान नहीं मिल सकता। सच्चे और अच्छे-अच्छे मुसलमानसे बढ़कर इस्लाममें और क्या शक्ति है? हिन्दू धर्मके नाममात्रके हजारों अनुयायी अपने विश्वास और श्रद्धाके अनुसार व्यवहार नहीं करते बल्कि उसको कलंकित करते हैं। यदि हिन्दू धर्मका एक भी सच्चा और पूरा अनुयायी हो तो वह अकेला ही हमेशाके लिए और सारी दुनियाके मुकाबले में उसकी रक्षाके निमित्त काफी है। उसी प्रकार एक सच्चा और पूरा असहयोगी निस्सन्देह लाखों नाममात्र के असहयोगियोंकी अपेक्षा अच्छा है। सविनय अवज्ञाकी अच्छी से अच्छी तैयारी है विनयशीलता अर्थात् सत्यपरायणता और अहिंसा-वृत्तिको स्वयं अपने तथा अपने सहवासियोंके भीतर जाग्रत करना।

हमारी माँगें

इस खयालसे कि कांग्रेसकी माँगें क्या-क्या हैं इसे अच्छी तरह जानते हुए ही सब लोग गोलमेज परिषद् में शरीक हो सकें, मैंने अपनी तरफकी सब बातें साफ-साफ पेश कीं और खिलाफत, पंजाब तथा स्वराज्य-सम्बन्धी अपना दावा उपस्थित किया। उन्हें मैं यहाँ भी देता हूँ:

(१) जहाँतक मैं अपनी याददाश्त के आधारपर लिख सकता हूँ, कुस्तुन्तुनिया, एड्रियानोपल, एनेटोलिया तथा स्मर्ना और थ्रेस तुर्क लोगोंको पूर्णतः वापस दे दिये जायें। अरब, मेसोपोटामिया, फिलस्तीन और सीरियासे तमाम गैर-मुस्लिम सत्ता हटा ली जाये और इसलिए इन प्रदेशोंसे पूरी तरह तमाम ब्रिटिश सेना, फिर वह चाहे अंग्रेजी हो या हिन्दुस्तानी, वापस बुला ली जाये।

(२) कांग्रेसकी उप-समितिकी[१] रिपोर्ट में सूचित बातोंपर पूरा-पूरा अमल किया जाये और इसलिए सर माइकेल ओ’डायर, जनरल डायर तथा दूसरे अफसरोंकी, जिनकी बरखास्तगीकी राय समितिने दी है, पेंशनें बन्द कर दी जायें।

(३) पूर्वोक्त माँगें मंजूर कर ली जानेकी अवस्थामें, स्वराज्यसे हमारा अभिप्राय पूरा औपनिवेशिक स्वराज्य होगा। ऐसे स्वराज्यकी योजना उन प्रतिनिधियों द्वारा तैयार की जानी चाहिए जो कांग्रेसके संविधानके अनुसार निर्वाचित किये गये हों। इसका अर्थ है―४ आने देनेपर कांग्रेसकी सदस्यता और तब मत देनेका अधिकार। हरएक बालिग हिन्दुस्तानी, स्त्री हो या पुरुष, जो चार आने देता है और जिसने

  1. अप्रैल १९१९ में पंजाब में हुए उपद्रवोंकी जाँचके लिए नियुक्त की गई उप-समिति। देखिए खण्ड १७, पृष्ठ १२८-३२२।