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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रखी जाये तथा शान्तिमय सद्हेतुपूर्ण धरनेको छोड़कर अन्य सभी तरहके धरने भी परिषद्का फल प्रकट न होने तक मुल्तवी रखे जायें। परन्तु विरोधात्मक हलचलोंसे जो अभिप्राय है वह मुझे इतना भयावह मालूम हुआ कि मेरे लिए उसे मान लेना सम्भव नहीं लगा; अतएव मैंने खुद अपनी ही तजवीज वापस ले ली और सद्हेतुपूर्ण शान्तिमय धरनेकी बात भी छोड़ दी, यद्यपि ऐसा करते हुए मुझे बहुत अफसोस हुआ। पर मैंने मनमें कहा कि शराबखोरीको मिटाने के उद्देश्यसे जो सज्जन शराबकी दुकानोंपर धरना देने के काममें लगे हुए हैं वे थोड़े दिनोंके स्थगनसे होनेवाली इस हानिपर ध्यान न देंगे।

मैंने अ० भा० कांग्रेस कमेटीकी कार्य-समितिको यह सलाह देना भी मंजूर कर लिया है कि कांग्रेस द्वारा स्वीकृत सामान्य सामूहिक सविनय अवज्ञा ३१ जनवरी तक स्थगित रखी जाये जिससे समिति और परिषद् सरकारके साथ सुलहकी बातचीत कर सके। हमारे उद्देश्यकी सचाई सिद्ध करनेके लिए मुझे यह परम आवश्यक मालूम हुआ। जबतक परिषद्की बातचीत जिम्मेदार लोगों द्वारा हो रही है तबतक हम कोई नया आक्रामक काम शुरू नहीं कर सकते। मैंने कार्य-समितिको यह सलाह देना भी कबूल कर लिया कि यदि गोलमेज परिषद् होने जा रही है तो जबतक वह होती रहे तबतक तमाम हड़तालें बन्द रखी जायें। इसे मैं अनिवार्य मानता हूँ। हड़तालें नौकरशाहीके प्रति अपना विरोध प्रकट करनेका साधन हैं। पर जब हम उसके साथ सुलह सम्बन्धी बातचीत में लगे हुए हैं तो हम हड़तालें जारी नहीं रख सकते। कार्यकर्त्ता इसे याद रखें कि सामान्य सामूहिक सविनय अवज्ञाको छोड़कर अभीतक कांग्रेसकी और कोई भी हलचल बन्द नहीं की गई है। प्रत्युत स्वयंसेवकोंके नाम दर्ज करना तथा स्वदेशी प्रचारका कार्य ये दोनों वैसे ही जारी रहने चाहिए। जहाँ-जहाँ पूर्ण शान्ति- मय ढंगसे काम किया जाता हो वहाँ शराबकी दुकानोंपर धरना जारी रखा जा सकता है। जहाँ-जहाँ अकारण ही धरना देनेकी मनाही कर दी गई है वहाँ भी वह अवश्य जारी रहे। इसी प्रकार पाठशालाओं और विदेशी कपड़ोंकी दुकानोंपर भी धरना जारी रखा जा सकता है। परन्तु एक ओर जहाँ हम यह कहते हैं कि हमारा सब कार्य उत्साहपूर्वक जारी रखा जाये वहाँ दूसरी ओर हमें अधिकसे-अधिक संयमसे काम लेना चाहिए और हिंसा अथवा अशिष्टताको अपने पास तनिक भी नहीं फटकने देना चाहिए। जब शक्ति के साथ संयम और शिष्टताका योग हो जाता है तब वह अजेय हो जाती है। सविनय अवज्ञा तो हमारा अनिवार्य स्वत्व है। अतएव उसकी तैयारी तो गोलमेज परिषद्के बुलाये जानेकी अवस्थामें भी जारी ही रहेगी। और सविनय अवज्ञाकी तैयारीमें इतनी बातें शामिल हैं:

१. स्वयंसेवकों के नाम दर्ज करना,

२. स्वदेशीका प्रचार करना,

३. छुआछूतको दूर करना,

४. वचन, कार्य और विचारतक में अहिंसाका पालन करनेकी तालीम देना,

५. भिन्न-भिन्न जातियों और सम्प्रदायोंमें एकता स्थापित करना।