पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/२५

यह पृष्ठ प्रमाणित है।

१. टिप्पणियाँ

दीनबन्धु दास[१]

लॉर्ड रीडिंगने[२] जो कहा था लगभग कर दिखाया। देशके बड़ेसे-बड़े नेता भी गिरफ्तारीसे नहीं बचे।[३] लॉर्ड रोनाल्डशेके[४]भाषणका अभिप्राय लोगोंने यह समझा था कि देशबन्धु दास कांग्रेसके अधिवेशनसे पहले गिरफ्तार नहीं किये जायेंगे और अगर उसके बाद गिरफ्तार हुए भी तो कुछ अनुचित किये जानेपर ही। किन्तु लॉर्ड रीडिंगकी धमकी इसके बाद सामने आई और उससे लॉर्ड रोनाल्डशेके अभिप्रायपर हरताल फिर गई। यदि मनोनीत सभापति स्वयंसेवक बनाता रहे और घोषणापत्र जारी करता रहे तो फिर उसे क्यों आजाद रहने दिया जाये? और फिर कलकत्तेमें युवराजके आगमनके दिन हड़ताल करनेकी हलचल भी जैसीकी-तैसी चल ही रही है। मेरे खयालमें ऐसा ही कुछ सोचकर मनोनीत सभापति गिरफ्तार किये गये हैं। उनके साथ-साथ दूसरे अनेक प्रधान कार्यकर्त्ता भी पकड़े गये हैं। मौलाना अबुल कलाम आजाद[५] जो कि मुस्लिम उलेमाओंमें सर्वाधिक बड़े विद्वानोंमें हैं, मौलवी अकरम खाँ जो कि खिलाफत समितिके मन्त्री हैं, श्री ससमल जो कि बंगाल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके मन्त्री हैं, बाबू पद्मराज जैन जिनका प्रभाव कलकत्तेके मारवाड़ीसमाजपर है, सभापति महोदयके साथ गिरफ्तार हुए हैं। यह स्पष्ट है कि ये गिरफ्तारियाँ हड़तालको रोकने के लिए हुई हैं। इन गिरफ्तारियोंसे यह नतीजा निकलता है कि अधिकारीगण लोगोंको शान्तिके साथ समझा-बुझाकर हड़तालके लिए राजी करनेकी बात बरदाश्त नहीं कर सकते। वे तो यही चाहते हैं कि जबरदस्तीसे ही क्यों न हो, दुकानें खुली रखी जायें। अलबत्ता वे कर्नल जॉनसनकी[६] तरह लोगोंको डरा-धमकाकर दुकानें खुलवाकर वहाँ सिपाहियोंको पहरेपर बिठा देना नहीं चाहते; बल्कि नेताओंको गिरफ्तार करके डरपोक दुकानदारोंको भयभीत कर देना चाहते हैं। सो कलकत्तेके व्यापारियोंके लिए अब यह अवसर आ गया है कि वे, अपने नेताओंके उनसे अलहदा कर दिये जानेपर भी, उस दिन हड़ताल रखें और इस तरह अपने निश्चय और स्वतन्त्र-वृत्तिका परिचय दें। अब तो २४ तारीखको हड़ताल रखना

  1. चित्तरंजन दास (१८७०-१९२५); वकील, वक्ता और लेखक; १९२१ में कांग्रेसके अध्यक्ष; १९२३ में स्वराज्य पार्टीकी स्थापना की।
  2. १९२१ से १९२६ तक भारतके वाइसराय।
  3. अभिप्राय १० दिसम्बर, १९२१ को देशबन्धु दासकी गिरफ्तारीसे है।
  4. बंगालके तत्कालीन गवर्नर।
  5. १८८९-१९५८; प्रसिद्ध नेता, दो बार कांग्रेसके अध्यक्ष; स्वतन्त्रता प्राप्तिके बादसे १९५८ तक केन्द्रीय शिक्षा-मन्त्री।
  6. अप्रैल-मई १९१९ में मार्शल लॉके दौरान लाहौर क्षेत्रके कमांडिंग अफसर।
२२—१