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तारका सारांश

और वाइसराय महोदयके प्रति धोखेबाजी होती। मैं वाइसराय महोदयको किसी धोखे में नहीं रखना चाहता। अगर मैं ये बातें आपसे या देशसे न कहूँ तो मैं अपने आपके प्रति धोखेबाजी करूँगा। जहाँतक असहयोगी लोग या हमारा देश मेरी सलाह मानने को तैयार होगा, मैं तो यही कहूँगा कि आपको इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं करना चाहिए। जबतक हमें ये चीजें प्राप्त नहीं होतीं, देश आज जिन कष्टोंके भारसे पिस रहा है उन कष्टोंसे हमें छुटकारा नहीं मिल सकता। हम ये कष्ट उठाकर सन्तुष्ट हैं, इन कष्टोंमें ही हम गौरव मानते हैं। लेकिन हम नहीं चाहते कि हर प्रकारके कष्टोंके लिए हम पहले ही से तैयार न रहें। जैसा कि लाला लाजपतरायने कहा, यह देश सब-कुछ झेलनेको तैयार है। अपने देशभाइयोंके हितोंमें मेरा विश्वास कुछ कम ही है, क्योंकि उन्होंने पर्याप्त कष्ट नहीं उठाया है। इसलिए मेरी कुछ अपनी दुःशंकाएँ हैं। मुझे विश्वास है कि जो समिति नियुक्त की जायेगी वह असहयोगियोंके नामपर मेरा यह सन्देश वाइसराय महोदयतक पहुँचा देगी कि अगर वे गोलमेज सम्मेलन बुलाना चाहते हैं तो उन्हें यह समझकर ही उसे बुलाना चाहिए कि असहयोगी लोग, मैंने जो-कुछ कहा है, उससे कम किसी भी बातसे सन्तुष्ट नहीं होंगे। मैं अभी यहाँ आपको यह भी बता देता हूँ कि हममें इस देशकी समस्त सेनाओंका नियन्त्रण-भार सँभालने की सामर्थ्य है और हम विदेशी मामलोंकी तमाम उलझनोंसे निबट सकते हैं। बुरेसे-बुरा यही तो हो सकता है कि धरतीसे हमारा नामोनिशान मिट जाये। किन्तु भारतके स्वतन्त्र वातावरण में साँस ले सकूँ तो फिर भले ही मेरी हस्ती मिटने का खतरा क्यों न हो, मैं उसके लिए भी तैयार हूँ। (हर्षध्वनि)

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १८-१-१९२२
 

८१. तारका सारांश

[१६ जनवरी, १९२२के पूर्व]

[मद्रास] नगर कांग्रेस कमेटीके अध्यक्ष श्री एम० सिंगारावेलू लिखते हैं:

महात्माजीने इस आशयका तार भेजा है कि यद्यपि पूर्ण हड़ताल होनेके कारण उन्हें खुशी हुई, फिर भी कुछ लोगोंने सजावट वगैरहको नुकसान पहुँचाया इसलिए हमें उपद्रवी तत्त्वोंका पता लगानेकी हर चन्द कोशिश करनी चाहिए ताकि आगे उनपर नियन्त्रण रखा जा सके।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १६-१-१९२२