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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यह नोटिस वापिस ले लिया जाता है तो क्या आप स्वयंसेवक भरती करना बन्द नहीं करेंगे। मैंने जोर देकर कहा, “नहीं”। स्वयंसेवक भरती करना तो मैं क्षण-भरको भी बन्द नहीं करूँगा। इस आधारपर कि...[१] हमारे लिए ऐसा वचन देना सम्भव नहीं है।...[१] सविनय अवज्ञाकी तैयारी...।[१] यह तैयारी आक्रामक अथवा वैर-विरोधपूर्ण ढंगकी नहीं होगी। यह बात उन लोगोंके हकमें है जो अब आम सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करने को तैयार बैठे हैं। उन्हें एक निर्धारित समयपर सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करनी होगी। इसलिए उन्हें तैयारी करते रहना चाहिए। मैं नहीं समझता कि इसमें मैं कोई सरकार विरोधी काम कर रहा हूँ। लेकिन मैं चाहता हूँ यह सम्मेलन इस बात को समझे कि इस सम्मेलनकी कार्रवाई समाप्त होनेपर कल कार्य समितिकी बैठक में उससे सलाह-मशविरा करनेके बाद मैंने जो वचन देनेकी बात कही है उसका पूरा अर्थ क्या है। मैंने अपना सारा काम पूरा कर लिया है। मैंने विषय समितिसे भी कहा कि ये बातें बिलकुल ठीक हैं। सरकार आज चाहे ये बातें मंजूर करे या न करे, मेरे लिए तो मुख्य बात इतनी ही है कि वाइसराय यह न कह पायें कि हमने खिलाफत सम्बन्धी माँग छोड़ दी है। खिलाफत के प्रश्नपर हमारे रवैये में रद्दो-बदलकी गुंजाइश नहीं है, पंजाब के सवालपर हम कोई समझौता नहीं कर सकते। कमसे-कम जो माँगें हो सकती हैं, वे एक लम्बे अरसेसे देश के सामने हैं। इनमें कमी करनेकी गुंजाइश नहीं है। अब बातचीत तो सिर्फ इस विषयपर हो सकती है कि खिलाफत के सम्बन्धमें जो माँगें रखी गई हैं, उन्हें पूरा कैसे किया जाये, पंजाबके सम्बन्धमें जो कुछ माँगा जा रहा है, वह कैसे दिया जाये। (हर्षध्वनि) सरकारके सामने जो समस्याएँ हैं, उन सभीको मैं सहानुभूतिपूर्वक समझना चाहता हूँ, लेकिन इन माँगोंका परम महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है भारतको पूर्ण अधिराजत्वका दर्जा देना। अब सवाल है कि वह कैसे हो? गोलमेज सम्मेलनमें भी मैं वाइसराय महोदयसे इसी बात के लिए साग्रह निवेदन करूँगा कि पूर्ण अधिराजत्वकी इस माँगको ध्यानमें रखते हुए एक योजना बनाई जाये, और यह योजना इस देशकी जनता के समुचित रूपसे निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा तैयार की जाये। “समुचित रूपसे निर्वाचित प्रतिनिधियों से मेरा तात्पर्य है कांग्रेस संविधानके अन्तर्गत निर्वाचित प्रतिनिधि, अर्थात् चवन्निया-सदस्यों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि। मतलब यह कि जो लोग चार-चार आने चन्देके रूपमें देते हैं उनके नाम मतदाता सूचीमें दर्ज किये जायेंगे और वही इन प्रतिनिधियोंका चुनाव करेंगे। ये प्रतिनिधि भारतके लिए पूर्ण अधिराजत्वकी एक योजना तैयार करेंगे। मैं जानता हूँ यह सवाल बहुत बड़ा है। यह बात में न आपसे छिपाना चाहता हूँ, न देशसे और न अपने-आपसे। मैं यह भी जानता हूँ कि स्वयं में हृदयसे ऐसा अनुभव करता हूँ कि यह देश अभी वैसी माँग करनेकी दृष्टिसे सचमुच तैयार नहीं है। गोलमेज सम्मेलनके सफल होनेमें मुझे अनेक शंकाएँ हैं। लेकिन जो कुछ मैंने कहा है, वह अगर न कहता तो वह अपने सिद्धान्तके प्रति धोखेबाजी होती, जिन मित्रोंका संग-साथ मुझे प्राप्त है, उनके प्रति धोखेबाजी होती