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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जरूरी था। यदि सरकार कैदियोंको कुछ भी छूट देना चाहती हो तो उसे उसका ऐसा सदुपयोग अवश्य होने देना चाहिए जैसा कि महादेवने यह पत्र लिखनेमें किया है। इस पत्र में जो बातें लिखी गई हैं उनके सम्बन्धमें इस समय मैं अधिक लिखना नहीं चाहता। मैं तो भारतकी धीरता और शान्तिको देखकर आनन्द और आश्चर्य के समुद्र में डूबा जा रहा हूँ। अवश्य ही मुझे इतनी आत्मशुद्धिकी आशा नहीं थी। कैदियोंने जो जयघोष किया वह उनकी उद्धतता नहीं है, बल्कि वह तो उनका अधिकार है, ऐसी उनकी मान्यता थी। और जब महादेवने लक्ष्मीनारायणका ध्यान इस भूलकी ओर खींचा तब उन्होंने कितनी सरलतासे तत्क्षण अपनी भूल स्वीकार कर ली। अवश्य ही इस लड़ाई में ईश्वरका हाथ है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १५-१-१९२२

७९. मु॰ रा॰ जयकरको[१] लिखे पत्रका अंश

रविवारकी सुबह [१५ जनवरी, १९२२][२]

मैं बैठकमें व्यस्त था, तभी आपका पत्रला। आपके पत्रका जवाब देने और १० बजेकी बैठकके[३] लिए प्रस्ताव तैयार करनेके लिए जल्दी उठ गया हूँ।

मैंने श्री पटेल[४] द्वारा किये गये आपके अपमानको उसी भावसे ग्रहण किया जिस भावसे उनके हाथों एक नहीं, अनेक अवसरोंपर होनेवाले अपने अपमानोंको ग्रहण किया है। यह लगभग उनका स्वभाव ही बन गया है। मैं तो यह मानने लगा था कि आप दोनों किसी तरह एक-दूसरेके बड़े अच्छे मित्र बन गये हैं। अब अगर आप इजाजत दें तो मैं आपका पत्र श्री पटेलको दिखाना चाहूँगा――उन्हीं के लाभके लिए। आप जानते ही हैं कि मैंने मान लिया है कि मेरे और उनके बीच खुल्लमखुल्ला मतभेद है। उनकी राह अलग है, मेरी अलग। वे भी जानते हैं कि हम दोनों दो अलग दिशाओं में चल रहे हैं। श्री पटेलके बारेमें तो बस इतना ही।

सत्यके अलावा और मेरा कोई दल-बल नहीं है। मैं केवल सत्यके लिए ही जीना चाहता हूँ। आप चाहें असहयोगियोंके शिविरमें बने रहें या उससे अलग हो जायें;

  1. मुकन्दराव रामराव जयकर (१८७३-१९५९); वकील और उदारदलीय नेता; उप-कुलपति, पूना विश्वविद्यालय।
    यह पत्र जयकरके १४ जनवरी १९२२ के पत्रके उत्तर में भेजा गया था। उस पत्रमें उन्होंने बम्बई में आयोजित नेताओंके सम्मेलनमें पहले दिनकी बैठक में विट्ठलभाई पटेल द्वारा कही गई बातोंके बारेमें शिकायत की थी।
  2. साधन-सूत्रसे।
  3. देखिए अगला शीर्षक।
  4. विट्ठलभाई झवेरभाई पटेल (१८७३-१९३३); वल्लभभाई पटेलके बड़े भाई; बम्बई विधान परिषद्के सदस्य; भारतीय विधान सभाके प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष, १९२५-३०।