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अब गोलियोंकी बारी है

यह विश्वास था कि यदि अपनी सम्पत्ति पुनः प्राप्त करनेका उनका संकल्प बना रहा और वे उसके लिए कष्ट सहनेको तैयार रहे तो वे फिर अपनी जमीनपर लौट आयेंगे। स्वर्गीय जनरल बोथाके[१] पास सैकड़ों एकड़ जमीन और बेहतरीन मवेशी थे। उन्हें अपनी यह सारी सम्पत्ति छोड़कर भागना पड़ा था। उन्होंने कीमतकी परवाह किये बिना संघर्ष किया और अन्तमें दक्षिण आफ्रिकाके मानो बादशाह ही हो गये और अपनी सम्पत्ति उन्हें ससम्मान वापस मिली। हमें भी बोअर लोगों और बेल्जियमवासियों के मुकाबले कम करतब नहीं करना चाहिए। खासतौर से उस हालत में जब कि हमारा संघर्ष ऐसा है जिसमें हम सभी कुछ त्यागने के लिए और प्रतिपक्षीको किसी भी तरह क्षति न पहुँचाने के लिए कृतसंकल्प हैं। अगर हम अपने देशसे गरीबीको समाप्त करना और ऐसी स्थिति उत्पन्न करना चाहते हों जिसमें समाजका कोई भी सदस्य नीचा न माना जाये तो हमें स्वेच्छासे, यद्यपि अस्थायी तौरपर ही, गरीबीका जीवन स्वीकार करना होगा। हममें से कुछ लोगोंको अपनी सुख-सुविधाका यह जो त्याग करना होगा वह उस पुरस्कारके मुकाबले कुछ भी नहीं है जो इसके फलस्वरूप भविष्य में हमें प्राप्त होनेवाला है। इसके द्वारा हम अपनी पुनीत मातृभूमिके विगत वैभव और सम्मानको पुनः प्राप्त करेंगे।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १२-१-१९२२

७२. अब गोलियोंकी बारी है

दमनका जो नया रूप तेजीसे सामने आ रहा है, के० ने उसका संक्षिप्त विवरण[२] तैयार किया है। इससे बहुत-सी बातोंका पता चलता है; आशा है पाठक इसे बहुत ध्यान से पढ़ेंगे। हो सकता है कि इस विवरणमें कुछ अतिशयोक्ति हो, परन्तु असह्योगके क्षेत्रोंसे अबतक प्राप्त प्रायः सबकी-सब रिपोर्टें इतनी सच निकली हैं और उनका प्रतिवाद इतना निराधार सिद्ध हुआ है कि के०ने मेरे पास आये पत्रों और अखबारोंमें से जो तथ्य इकट्ठे किये हैं, वे इतनी हूबहू तसवीर पेश करते हैं कि उनमें किसी प्रकारकी काट-छाँट करनेकी मेरी इच्छा नहीं होती।

पुलिस में ज्यादातर हमारे अपने देशवासी ही हैं। परन्तु यह स्पष्ट है कि अपने बड़े अधिकारियों के उदाहरण और आदेशसे उन्हें कानूनके खिलाफ कार्रवाई करनेको उकसाया जा रहा है। भीड़ जब निरंकुश होती है तब उसके सामने कोई और बेहतर रास्ता होता ही नहीं। लेकिन जब पुलिस निरंकुश होती है तो उसका वह कार्य जान-बूझकर किया हुआ और इसलिए अक्षम्य होता है। भीड़के पागलपनपर तो काबू पाया जा सकता है, लेकिन पुलिसके पागलपनसे यदि लोग पहलेसे ही उसके लिए

  1. १८६२-१९१९; बोअर जनरल तथा राजनीतिज्ञ; ट्रान्सवालके प्रधान मन्त्री १९०७, दक्षिण आफ्रिका संघके प्रधान मन्त्री १९१०-१९१९।
  2. यहाँ नहीं दिया गया है।