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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वकील लोग अपनी योग्यता और अवसर के अनुसार देशकी पुकारका समुचित उत्तर देंगे और उन अनेक तरहके कामोंमें सोत्साह भाग लेंगे जो उनके लिए खुले हुए हैं। जहाँ सभीसे सहायक होने की अपेक्षा की जाती है, वहाँ किसीको उदासीनता दिखलाना उचित नहीं। असहयोगियोंको उचित है कि वे अपनी सफलताओंपर गर्व न करें बल्कि राष्ट्रकी उन्नति के लिए जहाँ-कहींसे जिस किसी तरहकी सहायता मिले उसे नम्रताके साथ स्वीकार करते रहें। असहिष्णुता और लोगोंसे अलग रहने की वृत्तिकी जगह उनके दिलों में सहिष्णुता की भावना आनी चाहिए। यदि कोई मनुष्य जिसके पास त्याग करने के लिए कुछ है ही नहीं केवल खादी धारण करके वकालत करनेवाले उन वकीलों तथा अन्य लोगोंका उपहास करता है जो अपनी समझ के मुताबिक ईमानदारीके साथ देशकी अन्य कई तरहसे सेवा कर रहे हैं तो वह व्यक्ति आन्दोलनकी शोभा नहीं बढ़ाता, और न उसको लाभ ही पहुँचाता है। मातृभूमिकी सेवामें जो-कुछ सहर्ष अर्पण किया जाये वह सहर्ष स्वीकृत होना चाहिए।

कुर्कीका वारंट

कई जगहों से इस बात की पूछताछ की जा रही है कि जुर्माने ठोके जानेपर और जुर्माने की वसूली के लिए कुर्कीका वारंट जारी किये जानेपर क्या किया जाना चाहिए। गिरफ्तार होने और मारपीट बरदाश्त करनेके लिए तो व्यक्ति तैयार हो जाता है लेकिन माल-असबाबकी हानि बरदाश्त करने के लिए नहीं। इस असंगतिको पहली नजर में समझ सकना मुश्किल मालूम होता है लेकिन असलमें है वह आसान। हम अपने माल असबाबसे, अपनी सम्पत्तिसे इतना मोह करते हैं कि जब गिरफ्तारी- में बदनामीकी कोई बात नहीं होती तो हम अपनी सम्पत्तिके नुकसान के बजाय गिरफ्तार होनेकी असुविधाको बेहतर समझते हैं। लेकिन हमें यह चीज समझ लेनी चाहिए कि यदि हम अपनी शारीरिक सुख-सुविधाके साथ-साथ भौतिक सम्पत्तिका भी त्याग करनेके लिए तैयार नहीं हैं तो हम जीती हुई बाजी हार जायेंगे। अव्यवस्थित राज्य में जिस व्यक्तिकी अन्तरात्मा प्रबल होती है वह अपना सामान, सम्पूर्ण सम्पत्ति और शरीर तक दाँवपर लगा देता है और अपनी आत्माको स्वतन्त्र करता है। इसलिए इस संघर्ष में हमें विजय तभी प्राप्त हो सकती है जब हम ऐसी प्रत्येक वस्तुके प्रति उदासीन हो जायें जिनके द्वारा राज्य हमपर अपनी इच्छा थोप सकता हो। अतः हमें इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि हमारा सामान जब्त कर लिया जाये और हमारी जमीन छीन ली जाये फिर भी हम उसी तरह प्रसन्न रहें जैसे कि आज गिरफ्तार होनेपर रहते हैं। हमें पूर्ण आश्वस्त होना चाहिए कि जिस तरह सरकार आज हमें गिरफ्तार करके जेल भेज भेजकर परेशान हो चुकी है उसी तरह वह हमारा माल असबाब बेच बेचकर उससे भी जल्दी परेशान हो जायेगी। अगर हमें शीघ्र ही स्वराज्य प्राप्त कर लेतेका पूरा विश्वास है, जैसा कि होना भी चाहिए, तो हमें यह भरोसा भी होना चाहिए कि जितनी भी जमीन हड़प ली गई है वह सब ज्योंकी-त्यों हमारे पास लौट आयेगी और वसूल की गई रकमका भी अधिकांश हमें फिर मिल जायेगा। जब जर्मनोंने बेल्जियमको रौंद डाला था तब बेल्जियमवासियोंको