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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

अपने भाइयों――हिन्दुओं और मुसलमानों से अलग-अलग रहेंगे, यह बात तो सोची भी नहीं जा सकती?

इस सम्मेलनमें १६ प्रस्ताव पास किये गये। इन प्रस्तावोंमें राष्ट्रीय जीवनका प्रत्येक पहलू आ गया था। उसने सरकारकी दमन-नीतिकी निन्दा की। विज्ञप्तियोंके रूपमें जारी किये गये सरकारी हुक्मोंको वापस लिये जाने तथा कैदियोंकी रिहाईका अनुरोध किया, सम्मेलनने असहयोगियोंको यह सलाह दी कि असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया जाये, उसने गोलमेज सम्मेलन बुलाये जानेपर जोर दिया, पूर्ण नशाबन्दी के कार्यक्रमके साथ सहमति प्रकट की और विदेशोंमें बसे हुए भारतीयोंके साथ सहानुभूति प्रकट की। उक्त प्रस्तावोंमें से मैं स्वदेशीसे सम्बन्ध रखनेवाले प्रस्तावोंका मूल पाठ यहाँ यह दिखानेकी गरजसे दे रहा हूँ कि लोग यह जान लें कि ईसाइयोंके दिलोंमें स्वदेशीकी भावना कहाँतक जाग्रत हुई है।

इस सम्मेलनकी यह दृढ़ धारणा है कि ईसाई लोगोंके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्वदेशीको भावनाका प्राधान्य रहना चाहिए और उसके परिणामस्वरूप देशके सभी देशी उद्योग-धन्धोंको प्रोत्साहन मिलेगा। हम लोगोंको चाहिए कि हम अपनी स्वदेशी भावनाको कार्यान्वित करनेके लिए अविलम्ब ही भारतमें बने वस्त्र पहनना शुरू कर दें। इस बातको मद्दे नजर रखते हुए कि भारतीय ईसाई समाजपर अनेक बार और कड़े शब्दों में यह लांछन लगाया गया है कि वह स्वदेशी भावना के प्रति उदासीनताका भाव रखता है, यह सम्मेलन सिफारिश करता है कि सभी प्रान्तीय लोगोंको चाहिए कि वे स्थानीय लोगोंकी सहायता से समाज के लोगों में स्वदेशी भावना भरने के लिए साधन खोज निकालनेकी दिलो- जानसे कोशिश करें और इस कार्यक्रमको कार्यान्वित करनेमें तनिक भी विलम्ब न करें।

यह-सब बहुत उत्साहवर्द्धक है। आशा है कि प्रस्तावपर अमल किया जायेगा, और जिस प्रकार हिन्दुओं और मुसलमानोंमें चरखा और खादी लोकप्रिय हो गई है उसी प्रकार ईसाई लोगोंमें भी हो जायेगी। अब यह काम हिन्दुओं और मुसलमानोंका है कि वे इस सम्मेलनके इस प्रयासकी कद्र करते हुए अपने ईसाई देशवासियों के प्रति प्रगाढ़ मैत्री भावका परिचय दें और उसका पोषण करें।

कुछ और उल्लेखनीय गिरफ्तारियाँ

सभी तरफसे गिरफ्तारियोंकी खबरोंका आना जारी है। अब श्यामबाबूकी [१] लेखनी ‘सर्वेन्ट’ के स्तम्भोंको सुशोभित न करेगी। उन्हें इसलिए कैद किया गया है कि वे अदालत के इस अधिकारको मानने को तैयार नहीं हैं कि वह उन्हें गवाहके रूपमें पेश करके उनसे गवाही दिलाये। कांग्रेसके प्रस्तावमें न तो किसीको उस हदतक जानेको कहा गया है और न किसीको वैसा करने से मना किया गया। श्यामबाबूने अधिक सख्त

  1. बाबू श्यामसुन्दर चक्रवर्ती।