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तार: एस्थर मेननको

जेलमें भक्त लोग

श्री गोविन्दकी जो कहानी अभी हमने सुनी उससे प्रकारमें भिन्न परन्तु वैसी ही कल्याणकारी सीख काशीकी जेलसे आचार्य कृपलानी हमें दे रहे हैं। उनके भतीजे लिखते हैं :[१]

गुजरातके लिए स्वर्ण अवसर

ऐसा लगता है कि नडियाद, सूरत और अहमदाबादकी शालाओंसे सम्बन्धित विवाद जेल जानेका अवसर देगा और गोधराको तो मानो घर बैठे गंगा ही मिल जायेगी। गोधराके लोगोंको दो मासतक जुलूस न निकालनेकी आज्ञा दी गई है। इस निषेध आज्ञाकी अवधि इस मासकी १७ तारीखको समाप्त होगी। इसलिए इस बीच गोधराके लोग शान्ति कायम रखने की शर्त के साथ-साथ दूसरी शर्तोंका पालन करते हुए जेलें भर सकते हैं। वहाँके मजिस्ट्रेटने नीचे लिखा नोटिस जारी किया है।[२]

इस प्रकार भजनों और निर्दोष राष्ट्र-गीतोंपर रोक लगाना सहन करने योग्य नहीं है। मुझे आशा है कि प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी इन शहरों अथवा ताल्लुकोंमें व्यक्तिगत सविनय अवज्ञाकी अनुमति दे देगी और गुजरात भी अपनी बलिदान देनेकी क्षमताका परिचय देना आरम्भ कर देगा।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ८-१-१९२२

७०. तार : एस्थर मेननको[३]

साबरमती
११ जनवरी, १९२२

ईश्वर तुम दोनों का कल्याण करे।

गांधी

[अंग्रेजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडियामें सुरक्षित मूल अंग्रेजी प्रतिसे।

  1. यह पत्र यहाँ नहीं दिया गया है। आचार्य कृपलानीने इस पत्र में अपने भतीजेको सूचित किया था कि वे जेल में सत्याग्रह आश्रमकी दिनचर्याका ही अनुसरण कर रहे हैं।
  2. यहाँ नहीं दिया गया है।
  3. पहले एस्थर फैरिंग, एक डेनिश धर्म-प्रचारिका जिन्हें गांधीजी अपनी पुत्रीके समान मानते थे; १९१६ में भारत आई तथा बादमें साबरमती आश्रम में रहने लगीं। स्पष्टतः यह तार डा॰ मेननके साथ उनके विवाहके बाद भेजा गया था।