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पेश होनेके लिए सम्मन मिला था। वे जेल जाते समय बिलकुल खुश थे। हम कल उनसे मिलने गये मगर हमें मिलने नहीं दिया गया। मैं खाना, कपड़े और कुछ किताबें ले गया था लेकिन जेलरने लेनेसे इनकार कर दिया। आज सवेरे हम उनसे मिल सके। उन्हें साधारण अपराधियोंके साथ रखा गया था और जेलके सभी नियम उनपर लागू किये गये हैं। वे जेलके कपड़े पहने हुए थे। वे एक काली कमीज जिसकी बाहें कोहनीतक थीं और एक हाफ पेन्ट पहने हुए थे। उनके कपड़े गन्दे और बदबूदार थे और उनमें जुएँ भी थीं। उनके पास दो कम्बल थे जो शायद महीनोंसे नहीं धोये गये थे और जिनमें जरूर ही जुओंकी भरमार रही होगी। पानी पीनेके लिए एक जंग लगा लोहेका बर्तन था। जंग इतना ज्यादा था कि अगर उसमें पानी थोड़ी देर भी रखा रह जाये तो वह पीने योग्य न रहे। इसलिए रातको उसमें से पानी नहीं पिया जा सकता था। सबेरे उस पानीका रंग बिलकुल पीला हो जाता था। वहाँ एक गन्दी टंकी है जहाँसे पीनेका पानी लिया जाता है और यही पानी नहाने-धोनेके लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। मुझे यह नहीं मालूम कि उन्हें बाल्टियाँ भी दी जाती हैं या नहीं। नहानेके लिए एक लंगोट दिया जाता है। लेकिन बदन पोंछनेके लिए कोई तौलिया नहीं दिया जाता। जब धूपमें बदन सूख जाये तो वही गन्दे कपड़े फिर पहनने पड़ते हैं। इस जगह की ठंडी जलवायु में महादेवभाई जैसे कमजोर आदमीके लिए कपड़े धोना असम्भव है। क्योंकि जबतक धोये हुए कपड़े सुख न जायें तबतक उन्हें नंगे बदन रहना पड़ता है। उन्हें सिर्फ जेलका ही खाना दिया जाता है। कल रात तो उन्होंने कुछ खाया ही नहीं, आज सुबह उन्होंने दलिया जैसी कोई चीज ली। इस खाने में कंकड़ और धूल थी। शौचके लिए कैदियोंको बाहर जाना पड़ता है और शौचके लिए पानी उसी बर्तन में ले जाना पड़ता है जो उन्हें पानी पीनेके लिए दिया जाता है। रातके लिए उन्हें बगैर ढक्कनका बर्तन दिया जाता है। हाँ, अभी सिर्फ एक कसर बाकी है और वह यह कि उनके हथकड़ियाँ नहीं डाली गईं।

मुझे एक दूसरे सूत्रसे मालूम हुआ कि उनके साथ दुर्व्यवहार करने के लिए विशेष आदेश जारी किये गये हैं और उसका कारण यह बताया जाता है कि महादेव देसाईने जान-बूझकर शासनकी आज्ञाका उल्लंघन किया है। अधिकारियोंको यह बात बहुत खटकी है कि 'इंडिपेंडेंट' छपाई और छपाईके लिए आवश्यक 'डिक्लेरेशन' दाखिल किये बिना ही निकाल पाना सम्भव हो गया है।

मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जेलके सीखचोंमें बन्द रहकर भी महादेव देसाई अपनी सम्पादकीय दक्षताको सिद्ध करेंगे और शारीरिक यातनाओंके बावजूद अपनी स्वतन्त्रता बरकरार रखेंगे। मैं यह सूचना देकर पाठकोंको सान्त्वना देना चाहता हूँ कि महादेव देसाईके पास प्रेमसे ओतप्रोत ऐसा हृदय है जिसमें यातना पहुँचानेवाले के लिए