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५७. तार : मौलाना अब्दुल बारीको[१]

१ जनवरी १९२२

जबतक कार्य समितिकी बैठक बुलाई जा सकती हो तबतक डिक्टेटरका प्रश्न नहीं उठता। कार्य-समितिकी बैठक बुलाना सम्भव होनेपर डिक्टेटरके अधिकार कार्य समिति जैसे होंगे। जेल जाना, मार खाना, प्राण देना अपने-आपमें उद्देश्य नहीं हैं; इन कष्टोंको धर्म या देशके लिए ही सहना है।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ७७७९) की फोटो-नकलसे।

५८. निर्देश : कृष्णदासको[२]

[मौनवार, सोमवार, २ जनवरी, १९२२][३]

कृष्टोदासको निर्देश

खादीनगरमें प्राप्त सारे पत्र जो छाँटे नहीं गये, कहाँ हैं?

आप सजाओं और खबरोंके दिलचस्प अनुच्छेदोंका एक सार तैयार कर सकते हैं।

[अंग्रेजीसे]
सेवेन मंथ्स विद महात्मा गांधी
  1. यह तार मौलाना अब्दुल बारी द्वारा बम्बईसे ३१ दिसम्बर, १९२१ को प्रेषित उस तारके उत्तर में था जिसमें कहा गया था: "…कृपया निम्न प्रश्नोंका उत्तर तारसे भेजें ताकि मैं धार्मिक दृष्टिसे उठनेवाले सन्देह दूर कर सकूँ। क्या डिक्टेटरकी हैसियतसे आपके अधिकार वही हैं जो कार्य समितिके था उससे अधिक हैं? क्या कार्य समिति डिक्टेटरके अधिकार छीन सकती है? स्वयंसेवक दलोंका मुख्य उद्देश्य क्या होगा; देशके लिए काम करते हुए जेल जाना, मार खाना और प्राण तक दे देना या ये अपने-आपमें उद्देश्य माने जायें?"
  2. एक प्रतिलिपिसे।
  3. साधन-सूत्रसे।
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