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५५. सन्देश : उत्कलको[१]

३० दिसम्बर, १९२१

महात्माजीने ३० दिसम्बर (१९२१) को श्रीयुत भागीरथी महापात्र, गोपबन्धु चौधरी, निरंजन पटनायक और नवकृष्ण चौधरी द्वारा भेंट किये जानेपर निम्नलिखित सन्देश दिया था:

मुझे उत्कलका ध्यान बार-बार आता रहता है। जो दृश्य मैंने देखा है, वह बिलकुल दिल दहला देनेवाला है। प्रान्तसे गरीबी दूर करें। घर-घरमें चरखेका सन्देश दें। उत्कलको शेष भारतके लिए खद्दरका भण्डारगृह बनायें। भूखे आदमियों और औरतोंको भोजन दें। यही वह सबसे अच्छी राजनैतिक शिक्षा है जिसे आप अपने लोगोंको दे सकते हैं; आप आक्रामक सविनय अवज्ञाके प्रश्नको लेकर परेशान न हों। यदि सरकार कोई चुनौती दे तो आप स्वयंसेवक भरती करते जायें और मुझे आशा है कि कमसे कम पचास हजार उत्कलवासी जेलोंमें भर जायेंगे।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १४-१-१९२२

५६. भाषण : गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबादमें

३१ दिसम्बर, १९२१

शनिवारको सुबह गुजरात विद्यापीठमें श्री पॉल रिचर्डने "भारतका सन्देश"पर एक भाषण दिया। महात्मा गांधी सभाके अध्यक्ष थे। श्री रिचर्ड फ्रांसीसी भाषामें बोले और श्रीमती सरोजिनी नायडूने भाषणका अनुवाद पढ़कर सुनाया।

महात्मा गांधीने कहा, मैं इस भाषण में उपस्थित होना बहुत सम्मानकी बात समझता हूँ। मुझे कांग्रेस के प्रतिनिधियोंसे भेंट करनी थी, इस वजहसे मैं पिछले दो दिन समय नहीं निकाल सका; किन्तु में आज श्री रिचर्डका भाषण सुननके लिए आया हूँ। उन्होंने श्रोताओं से अनुरोध किया कि वे श्री रिचर्डकी बातमें जो भी अच्छाई हो उसे ग्रहण करें और उसका अनुसरण करें।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २-१-१९२२
  1. उड़ीसाका पुराना नाम। साधन-सूत्र में यह सन्देश सर्वेन्टसे लिया गया है।