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भेंट : संयुक्त प्रान्तके कांग्रेस नेताओंसे


कांग्रेसके दफ्तरोंमें स्वयंसेवकोंकी भरतीका काम जारी रहना चाहिए।

पण्डित मोतीलाल नेहरू चाहते हैं कि 'इंडिपेंडेंट' की प्रतियाँ हिन्दी और उर्दू भाषामें प्रकाशित की जायें, अतः स्वयंसेवकोंको इसके प्रकाशनमें पूरी मदद करनी चाहिए।

हम लोगोंको चोरों एवं डाकुओंके प्रति भी कदापि हिंसाका भाव मनमें न लाना चाहिए। अहिंसा ही हम लोगोंका एकमात्र व्रत होना चाहिए।

जबतक हम लोग जेल जानेको तैयार न होंगे, जबतक हम मरने तकके लिए कमर न कसेंगे और क्रोधको वशमें नहीं कर लेंगे, तबतक पंजाबपर किये गये अत्या- चार तथा खिलाफतके प्रश्न कदापि हल न हो सकेंगे।

स्वराज्यका अर्थ यह है कि सेनापर हमारा पूरा अधिकार हो।

स्वयंसेवकोंकी सूची समाचारपत्रोंमें प्रकाशित की जाये और कोतवाली भेजी जाये।

स्वयंसेवक घूम-फिरकर खादी बेचें। उनकी वर्दी केवल एक मामूली चपरासीकी होनी चाहिए। विदेशी कपड़ोंकी दुकानोंपर धरना देनेकी जरूरत नहीं। शराबकी दुकानोंपर धरना जारी रहे।

राष्ट्रीय स्कूलोंको सूत कातने और कपड़े बुननेके कारखानोंमें परिणत करना चाहिए। इनमें अठारह सालके नीचे की उम्र के लड़के काम करें और स्त्रियाँ इनकी देखभाल करें।

अठारह वर्ष से अधिक उम्रवाले जो छात्र एवं शिक्षक स्वयंसेवक बननेसे इनकार करें उन्हें स्कूलोंसे निकाल दिया जाये।

इलाहाबादसे प्रकाशित होनेवाला 'स्वराज्य' नामक हिन्दी पत्र हाथसे लिखकर प्रकाशित किया जाये।

जिनकी जायदाद जब्त हो जाये वे प्रसन्नतापूर्वक उसका त्याग करें, क्योंकि ऐसी अत्याचारी सरकारके राज्यमें जायदाद रखना ही पाप है। स्वराज्य मिलते ही फिरसे जायदाद लौटा दी जायेगी।

आज, १-१-१९२२