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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

करनी चाहिए। यदि वे तुम्हें गिरफ्तार नहीं करते, तो नया काम सम्पन्न किया जा सकेगा। अगर पकड़ लें, तो लोगोंका जोश बढ़ेगा।

इस समय पॉल रिचर्ड[१] यहाँ हैं। मैंने किशोरलालसे[२] उन्हें मिलाया। किशोरलाल अभी-अभी उनसे मिलकर गया है, इसलिए मुझसे भी मिल गया। कुमारी पीटर्सन[३] आज यहाँ हैं। कल आई थीं, आज चली जायेंगी। श्री रिचर्ड रविवारको जायेंगे। श्रीमती सन्तानम् अभीतक यहाँ हैं।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ ७६८३) की फोटो-नकलसे।

५४. भेंट : संयुक्त प्रान्तके कांग्रेस नेताओंसे

अहमदाबाद
३० दिसम्बर, १९२१

महात्माजी ने कहा:

अभी सविनय अवज्ञा करने की जरूरत नहीं है। अभी इतना ही काफी है कि स्वयंसेवकों में नाम लिखाकर, फिर चाहे गिरफ्तार हों अथवा नहीं, अपने जिम्मे सौंपे कामको जारी रखें।

स्वराज्य प्राप्त करने के मेरे तरीके मौलाना हसरत मोहानी के तरीकोंसे बिलकुल भिन्न हैं। अगर मैं अपनेको इस लायक समझता तो फौरन पूर्ण स्वाधीनताकी घोषणा कर देता। क्योंकि ऐसी घोषणा के बाद फिर रेलों, डाकघरों एवं तारों तथा ऐसी ही अन्यान्य वस्तुओंका व्यवहार करना पाप होगा। अगर अधिकांश लोग हम लोगोंके पक्ष में आ जायें तो केवल तीन ही महीने में पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त की जा सकती है।

अगर सब देशभाई मेरा साथ छोड़ दें यहाँ तक कि मेरी पत्नी भी मुझसे अलग हो जाये तो भी मैं अकेला ही काम करनेको तैयार हूँ।

संयुक्त प्रान्त के गवर्नर श्री हरकोर्ट बटलर चाहते हैं कि फिर सन् १८५७ की तरह विद्रोह मचे और लोग सरकारकी दुहाई देकर पुकार मचायें।

अच्छा होता कि इलाहाबादमें राष्ट्रीय कोतवाली कायम करनेका काम अभी बन्द कर दिया जाता। पर जब यह काम शुरू हो गया है तो इसे जारी रखना ही उचित है।

मुझे खेद है कि अबतक संयुक्त प्रान्त में स्वदेशीका प्रचार जितना चाहिए था उतना नहीं हुआ है। इससे मैं सन्तुष्ट नहीं हूँ।

  1. एक फ्रांसिसी लेखक।
  2. मशरूवाला।
  3. एन मेरी पीटर्सन, जिन्होंने एक डेनिश मिशनरी एस्थर फैरिंगके साथ दक्षिण आफ्रिका में का किया और कुछ समयके लिए साबरमती में भी रहीं।