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भेंट:बंगालके प्रतिनिधियों से

परन्तु निस्सन्देह यह प्रश्न उठता है कि यदि वकील ऐसा नहीं कर सकते तो जो अन्य लोग—जैसे व्यापारी—शर्तें पूरी नहीं करते उनका क्या हो। इसी प्रश्नपर नागपुरमें गर्मागर्म बहस हुई थी। इसपर श्री केलकरने बहुत जोर दिया था और उन्होंने एक बार सार्वजनिक सभामें मुझे चुनौती दी थी और कहा था कि मैं व्यापारियोंके प्रति पक्षपात करता हूँ; किन्तु उनका यह कथन वास्तवमें गलत था। परन्तु जैसा कि मैंने अपने भाषण में कहा था हम वकीलोंसे अधिक आशा करते हैं, क्योंकि वे नेता हैं। हम व्यापारियोंसे कम आशा रखते हैं क्योंकि वे कभी नेता बननेकी महत्त्वाकांक्षा नहीं रखते। हमने उनका पैसा लिया है और कुछ नहीं। इसीलिए व्यापारियोंसे इतनी अधिक आशा करना सम्भव नहीं है। वकीलों और व्यापारियोंमें झगड़ेका सवाल नहीं है। लेकिन यह एक अलग बात है और यह कहना कि हमें वकीलोंको अपने क्षेत्रसे बिलकुल निकाल बाहर करना चाहिए बिलकुल दूसरी बात है—फिर भले ही हम अपने बीचसे शर्त पूरी न करनेवाले व्यापारियोंको न भी हटायें। यदि हमारे बीच ऐसे लोग हैं जो शर्त पूरी नहीं करते तो कमसे कम वकीलोंके प्रति हमें उदार होना चाहिए और एक शोभनीय तथा प्रतिष्ठापूर्ण ढंगसे उनके ज्ञान और उनकी सेवाओंका लाभ उठाना चाहिए। इसलिए मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि आप प्रयत्न कर देखें कि आपको मेरे बताये सीमित ढंगसे हर वकीलकी सहायता मिल सकती है। मैं नहीं चाहता कि आप वकीलोंको अपनी समितियोंमें अध्यक्ष रूपमें लें। मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं है कि यह खतरनाक होगा क्योंकि आज सबसे अधिक महत्त्व ऐसी निर्भीकताका है जिसमें मनुष्य नुकसानकी बिलकुल परवाह न करे, और जबतक हम अहिंसाकी प्रतिज्ञाके अनुसार बड़ेसे बड़ा खतरा मोल लेनेको तैयार न हों, हम अपना कार्यक्रम अपने पास जो सीमित समय है उसीके भीतर पूरा नहीं कर सकते। इसलिए मैं आपसे कहता हूँ कि आप वकीलोंसे नेतृत्वके अलावा अन्य सभी विभागोंमें मदद लें, और नेतृत्वके लिए किसी अछूतको ले लें। किन्तु शर्त यह है कि उसमें दृढ़ साहस हो और बहा- दुरका दिल हो। यदि वह इतना अभय हो कि संसारकी अधिकसे-अधिक प्यारी सभी चीजों को, अपने करीबी रिश्तेदारों और अपने बच्चों तकको त्यागने के लिए तैयार हो, यदि वह इन सबको छोड़कर इस पथपर चलनेके लिए तैयार हो तो मैं कहूँगा कि ऐसा अछूत एक वकीलसे सदा ही कहीं अधिक अच्छा अध्यक्ष होगा। इसके विपरीत वकील पूर्ण सज्जन हो, और उसने अपने धन्धे में कीर्ति और अनुपम सफलता प्राप्त की हो; किन्तु फिर भी वह हमारे लिए किसी कामका नहीं है। इसलिए मैं आपसे अवश्य ही यह कहना चाहता हूँ कि अपना अध्यक्ष ईमानदार और बहादुर व्यक्ति के सिवा किसी औरको न बनायें। किन्तु इसके अलावा मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप उनका सहयोग लें। आप पूरी कोशिश करें, और वकीलोंका सहयोग प्राप्त करें। किन्तु यह बात भी उससे छोटी है जिसका उल्लेख मैंने आपके सम्मुख किया है। आप सबके प्रति उदार रहें। आप याद रखें कि स्वराज्यके कार्यक्रममें हम उन्हें अपने साथ रखना चाहते हैं। हम अपने देशवासियोंको उससे अलग नहीं करना चाहते। और यदि हम उनकी सहानुभूति और सहयोग नहीं पा सकते तो हममें कुछ दोष हैं।