पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/१४३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११९
भेंट:बंगालके प्रतिनिधियोंसे

बैठेंगे तो आपपर निस्सन्देह दोष लगाया जायेगा और तब शायद आप सविनय अवज्ञाको ही दोष देना शुरू कर देंगे। इसलिए मैं कहता हूँ कि आप सामूहिक सविनय अवज्ञा कतई न करें। आप अपनी कार्रवाई रक्षात्मक ढंगको वैयक्तिक सविनय अवज्ञातक ही सीमित रखें। वैयक्तिक सविनय अवज्ञा तो एक बच्चा भी कर सकता है। हमें जो कुछ करना है अपने उस कार्यक्रमके एक हिस्से के बारेमें मुझे इतना ही कहना था।

मैं जानता हूँ कि बंगालमें आज बहुत अधिक अधीरता है और इसलिए असहिष्णुता है और मैं आपको यह भी बता दूं कि मैंने भारतमें इतनी ज्यादा कटुता अन्यत्र कहीं भी नहीं देखी जितनी बंगालमें देखी है और वहाँ इसीलिए इतनी असहिष्णुता दिखाई देती है। मुझे विश्वास है कि आपको मेरी इस बातसे कोई गलतफहमी न होगी। हम मद्रासके दो विचारधाराओंके लोगोंको ही लें। वहाँ एक श्री कस्तूरी रंगा आयंगार हैं जो वस्तुतः असहयोगियोंके नरम वर्गका प्रतिनिधित्व करते हैं और दूसरे डा॰ राजन्[१] हैं जो दूसरी विचारधाराके लोगोंके नेता हैं। परन्तु दोनोंके बीच सम्बन्ध मधुर हैं। फिर सहयोगियों और असहयोगियोंका मामला लें। उनके सम्बन्ध भी किसी भी तरह उतने वैमनस्यपूर्ण नहीं हैं जितने बंगालमें हैं। मुझे ऐसा कहनेका अवसर बारीसालमें मिला था। मैं नहीं जानता कि मेरा वह कथन कभी प्रकाशित किया गया था या नहीं। किन्तु मैंने उस समय जो कुछ भी कहा था उसका एक-एक शब्द आज भी सच है। हमने अपनी अधीरतामें ऐसा विश्वास कर लिया कि हम पूर्णतः निर्दोष हैं और जो लोग हमसे मतभेद रखते हैं वे देशके हितचिन्तक नहीं हैं, यही नहीं, वरन् उसके शत्रु हैं। और इसीलिए हम अपने अच्छेसे-अच्छे नेताओंके बारेमें भी यही सोचते हैं। श्री सुरेन्द्रनाथ बनर्जीको लें। उनके बारेमें पत्रोंमें जो कुछ लिखा गया है, वह मैंने देखा है और निजी बातचीतमें जो कहा गया है वह भी सुना है। उससे लगता है कि हम उन्हें देशका शत्रु समझते हैं। मैं नहीं समझता कि वे ऐसे हैं। मैं आपसे कहता हूँ कि वे देशके शत्रु नहीं हैं। यदि मैं मद्रास जाता और कहता कि श्री कस्तूरी रंगा आयंगार देशके शत्रु हैं, तो मद्रासके लोग मेरे उस कथनपर रोष व्यक्त करते और उसे सहन न करते। किन्तु मैं जानता हूँ कि बंगालके लोग मेरी इस बातको सह लेते कि श्री सुरेन्द्रनाथ बनर्जी देशके शत्रु हैं। उग्रतावादी वर्गको लें। मैं यह कहने के लिए तैयार नहीं हूँ कि श्री थैगय्या चेट्टी[२] देशके शत्रु हैं—यद्यपि वे अब सार्वजनिक जीवनमें आगे आ गये हैं; किन्तु फिर भी उनका जीवन आशाप्रद कदापि नहीं है।

एक प्रतिनिधि:परन्तु सर सुरेन्द्रनाथका जीवन कभी आशाप्रद नहीं रहा।

महात्माजी: जहाँतक मैं जानता हूँ, आपको तो ऐसा ही कहना है। इसलिए मैं आपको सावधान करना चाहता हूँ कि यदि आपको अपने असहयोग और अहिंसाके प्रति सच्चा रहना है तो आप इतने अनुदार न हों और अपने ही देशवासियोंको इतना बुरा न समझें। और आखिरकार, क्या इससे अपनी ही निन्दा नहीं होती? किसीने

  1. डा॰ टी॰ एस॰ एस॰ राजन्, प्रमुख कांग्रेसी कार्यकर्ता और बादमें मद्रास मन्त्रिमण्डलके सदस्य।
  2. मद्रासमें जस्टिस पार्टी के संस्थापक।