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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

चाहिए। हमारे दिलमें जो गुस्सा है अगर उसको हम बनाये रखना चाहते हों तो मैं कहता हूँ कि आपके लिए वाणी और हाथकी शान्ति रखना असम्भव है। हर एक औरत और मर्दको अगर काम करना है तो मैं कहूँगा कि हम इसका पालन करें और यह कसम लेकर यानी गुस्सेको निकालकर काम करें। मैं आपसे कहता हूँ कि अगर आप हिन्दुस्तानको आजादीकी मंजिलपर पहुँचाना चाहते हैं तो जरूर यह कसम लीजिए। अगर आप यह बात नहीं मानेंगे तो इस कामको नुकसान पहुँचायेंगे। हिन्दू और मुसलमान दोनोंका नुकसान होगा।

पागल हिन्दू कहेगा कि मुसलमानोंने सोमनाथका मन्दिर तोड़ा और इसी तरह पागल मुसलमान और बात करेगा। वह अफगानिस्तानकी ताकतका खयाल करेगा। आप शान्तिको छोड़ देंगे तो शान्ति नहीं रहेगी। शान्ति रखनेसे ही शान्ति रहेगी। हिन्दुस्तानकी जो हालत है उसका भी खयाल करना होगा। जो आप चाहते हैं कि हिन्दुस्तानमें हम पारसी, हिन्दू, मुसलमान, आपसमें मुहब्बतसे रहें तो यह कसम लेनी होगी। और तलवार खींचेंगे तो काम नहीं बनेगा। जो लोग ऐसे हैं वे अंग्रेजोंके पास चले जायेंगे। दूसरी बात और है, और वह यह है कि हम जेलके लिए तैयार हैं। मारपीट बरदाश्त करने के लिए तैयार हैं। मौतको भी बरदाश्त करनेके लिए तैयार हैं। हमारा मजहब कहता है कि हम ऐसा करें। अब दूसरी शर्त क्या है? दूसरी शर्त यह है हम गुस्सा रोककर बरदाश्त करें। अगर गुस्सेपर काबू न करेंगे तो यह बरदाश्त, बरदाश्त नहीं होगी। हजरत अलीपर एक आदमीने थूका तो उन्होंने गुस्सा नहीं किया। ऐसा करते तो इस्लाम आजतक कायम न रहता। यह तो हमारा पुराना तरीका है। न यह 'गुरुग्रंथ' साहबमें है, न 'कुरान' में। हमारे मजहबकी बात है कि सबसे हम काम करें तो ख़ुदा कहेगा अच्छा किया। तलवार नहीं चलानी चाहिए। अगर इस तरह हम काम करना चाहें तो अच्छा है। अगर आप मरने जाते हैं तो मरिए। हिन्दुस्तान के लिए मरना आत्महत्या नहीं है। आत्महत्या हिन्दू और मुसलमान दोनों के लिए बुरी है। अगर आप किसी औरतकी बेइज्जती करना चाहते हैं तो जाकर डूब मरिए। आत्महत्या बुरी है मगर इस तरहकी आत्महत्या ठीक है। हम मरनेके लिए सबसे मरते हैं तो मर जाना चाहिए। मुझे आपसे और कुछ नहीं कहना है, और अगर और कुछ कहूँ तो आप और हम दोनों पागल हैं। आपने १५ महीनोंसे काम किया है। ऐसा ही काम करना चाहिए। शान्तिसे लाभ पहुँचा है या नहीं, असहयोग कुछ है या नहीं? स्वराज्य तो दमनमें है। स्वराज्य कमजोर दिलवाले के लिए नहीं है। शौकत अली होते तो कहते कि स्वराज्यके लिए मर जाना होगा। स्वराज्यके लिए यह बड़ी बात नहीं। अगर आप काम करना चाहते हैं तो मैं आपसे अपनी जबानसे कहना चाहता हूँ, मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ और आपसे कहता हूँ कि अगर कोई आदमी आपसे बात कहे तो कमरेमें जाकर खुदाकी मदद लें। अगर यह न कर सकें तो दिलसे पूछें कि जो बात मैं कह रहा हूँ, बड़ी है या नहीं। अगर नहीं है तो आप इस रिजोल्यूशन (प्रस्ताव) को अस्वीकार कर दें। अगर बड़ी है तो इसकी कद्र करें। अगर कद्र करना चाहें तो इसमें लिखी हुई बातको मानें। अब कोई आदमी जैसा कि मैंने ऊपर कहा इसका क्या जवाब देगा। अगर कोई इसके