पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/१३२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबन्धको घोषणाओंके बावजूद और कांग्रेसकी बैठकों को भी सार्वजनिक सभाओं में शामिल करनेको कोशिशोंके कारण, कांग्रेस सलाह देती है कि कमेटी की बैठकें और सार्वजनिक सभाएँ बन्द जगहों में टिकट लगाकर और पहले ही से मुनादी कराके की जायें। जहाँतक मुमकिन हो वही वक्ता भाषण करे जिसका नाम पहलेसे जाहिर कर दिया गया हो और वह भी लिखा हुआ भाषण पढ़े। हर हालत में इस बातकी सावधानी रखनी चाहिए कि कहीं उत्तेजना न फैल जाये और उससे लोग हिंसाके लिए प्रवृत्त न हों।

इस कांग्रेसका यह भी मत है कि किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा स्वेच्छाचारी और अत्याचारपूर्ण तथा पौरुषहीन कर देनेवाले ढंगसे सत्ताके उपयोगको रोकने के दूसरे तमाम उपायोंके कारगर सिद्ध न होनेपर, सशस्त्र विद्रोहके बजाय सविनय अवज्ञा ही एकमात्र सभ्यतापूर्ण और कारगर इलाज है। इसलिए यह कांग्रेस उन समस्त कार्यकर्त्ताओंको, जो शान्तिमय उपायोंको मानते हैं और जिन्हें पूर्ण विश्वास है कि वर्तमान सरकारको भारतवासियोंके प्रति अपनी इस पूर्ण गैर-जिम्मेदाराना स्थितिसे च्युत करनेके लिए, किसी-न-किसी प्रकारके आत्मत्यागके सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं है, यह सलाह देती है कि वे व्यक्तिगत सविनय अवज्ञाको ग्रहण करें और जब जनता अहिंसाकी पूरी तालीम पा चुके और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दिल्लीको पिछली बैठकमें बताई दूसरी शर्तोंका पालन करने योग्य हो जाये तब सार्वजनिक सविनय अवज्ञा भी शुरू कर दे।

इस कांग्रेसका यह मत है कि सविनय अवज्ञापर ध्यान केन्द्रित करनेके लिए—फिर चाहे वह व्यक्तिगत हो या सामूहिक, चाहे आक्रामक हो या रक्षात्मक—जो उचित सावधानी रखते हुए तथा कार्य समिति अथवा प्रान्तीय कांग्रेस कमेटियों की ओरसे समय-समयपर निकलनेवाली सूचनाओंके अनुसार किया जाये, कांग्रेसकी दूसरी तमाम गतिविधियाँ जब कभी, जहाँ कहीं और जिस हद तक आवश्यकता हो, बन्द कर दी जायें।

यह कांग्रेस १८ और इससे अधिक उम्र के विद्यार्थियोंको, विशेष करके उन विद्यार्थियोंको जो राष्ट्रीय विद्यालयों में पढ़ते हैं तथा उनके अध्यापक-वर्गको निमन्त्रित करती है कि वे पूर्वोक्त प्रतिज्ञा पत्रपर तुरन्त सही कर दें और राष्ट्रीय स्वयंसेवक दलों में भरती हो जायें।

कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओंके एक बड़े भागकी गिरफ्तारीको सम्भावनाके कारण यह कांग्रेस, अपने सामान्य तन्त्रको, जब कभी हो सके तब सामान्यतया उसका उपयोग करनेके लिए अक्षुण्ण बनाये रखना आवश्यक समझती है और इसीलिए महात्मा गांधी को दूसरी सूचना निकलने तक, अपना मुख्तारआम मुकर्रर करती है और अ॰ भा॰ कांग्रेस कमेटीके तमाम अधिकार उन्हें देती है। इनमें कांग्रेसके,