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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

देना पड़ेगा। सरकारके साथ यह हमारा अन्तिम मोर्चा है। अहिंसा में मेरा विश्वास इतना अधिक है कि यदि देश सच्चे अहिंसाके आचरणके लिए आवश्यक मानसिक स्थिति भी प्राप्त कर ले तो मैं यह वादा करनेके लिए तैयार हूँ कि हमें इसी महीने के अन्ततक स्वराज्य, तत्त्वतः सच्चा स्वराज्य मिल जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २६-१२-१९२१

४५. भाषण:विषय समितिको बैठकमें[१]

२७ दिसम्बर, १९२१

आज अहमदाबादमें सुबह चार घंटे की बैठकके बाद भारतीय कांग्रेस कमेटी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मामलों में निश्चित निष्कर्षोपर पहुँची। उसने न केवल बहुत बड़े बहुमत से गांधीजीका मुख्य प्रस्ताव[२] स्वीकार किया अपितु हसरत मोहानीके नेतृत्वमें होनेवाले ५२ सदस्योंके जबरदस्त विरोधको भी अस्वीकार कर दिया। इन सदस्योंने कांग्रेस सिद्धान्तमें परिवर्तन करवानेके लिए और ब्रिटिश साम्राज्य के बाहर स्वराज्यप्राप्तिको कांग्रेसका उद्देश्य निश्चित करवानेके लिए बहुत संघर्ष किया था।…

बैठककी कार्रवाई शुरू करते हुए अध्यक्ष हकीम अजमल खाँने घोषणा की कि उन्हें श्री गांधी प्रस्ताव में ऐसे संशोधनोंके नोटिस मिले हैं जो सही अर्थोंमें कांग्रेसके सिद्धान्तके ही प्रतिकूल पड़ते हैं। इसलिए उन्होंने उनको नियम विरुद्ध ठहराया; परन्तु यह सुझाव दिया कि यदि नोटिस देनेवाले लोग चाहें तो वे उन संशोधनोंको पृथक् और स्वतन्त्र प्रस्तावोंके रूपमें रख सकते हैं।

चूंकि स्थिति कुछ उलझी हुई दिखाई दी, इसलिए गांधीजीने एक संक्षिप्त भाषण दिया जिसमें उन्होंने इन विरोधी मुद्दोंका विश्लेषण किया और समितिके सामने उन्हें स्पष्ट करके रखा। उन्होंने कहा, यदि हसरत मोहानी और अन्य लोग चाहें तो वे कांग्रेस- सिद्धान्त में परिवर्तन करवानेके सम्बन्धमें अलग प्रस्ताव रख सकते हैं। किन्तु, चूंकि मेरा प्रस्ताव अभी समितिके सामने है, अतः में चाहता हूँ कि वे सब लोग जो हसरत मोहानीकी तरह सोचते हैं यह याद रखें कि उन्हें मेरे प्रस्तावके पक्षमें मत नहीं देना चाहिए, क्योंकि मेरे प्रस्तावका मूल आधार ही यह है कि वर्तमान सिद्धान्त अवश्य ही बरकरार रहना चाहिए और हमें अपनी लड़ाई अन्ततक अहिंसाके अस्त्रसे ही लड़नी चाहिए। किन्तु उसके विपरीत हसरत मोहानीका दल पूर्ण स्वतन्त्रताके और स्वतन्त्रताकी लड़ाई हर सम्भव उपायसे लड़नेके पक्षमें है। मामला साफ और सीधा

  1. यह बैठक अहमदाबादमें हुई थी।
  2. देखिए "भाषण:अहमदाबादके कांग्रेस अधिवेशनमें–१", २८-१२-१९२१।