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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

तनिक भी सन्देह नहीं है कि दमनकी यह अन्धाधुन्ध चक्की जैसे-जैसे तेज होती जायेगी वैसे-वैसे यह पूरा दुःखी देश आतंकमें डूबता जायेगा। इस दमनके लिए सभ्य तरीके अपनाये जायें या असभ्य, पर असहयोगियोंके लिए केवल एक मार्ग है। कमसे कम मुझे तो भारतीय जनताके लिए कोई और मार्ग दिखाई नहीं देता। सार्वजनिक सभाएँ करने और संस्थाएँ कायम करने के अधिकारके बारेमें समझौतेकी कोई गुंजाइश नहीं। हमने अपना पीछे लौटने का रास्ता बन्द कर दिया है। इसलिए हमें तबतक बराबर आगे ही बढ़ते जाना होगा जबतक मनुष्योंका यह बुनियादी अधिकार सुरक्षित न हो जाये।

मैं अपनी स्थिति स्पष्ट कर देना चाहता हूँ। समझौतेकी मुझे सबसे अधिक चिन्ता है। मैं चाहता हूँ कि सब पक्षोंका गोलमेज सम्मेलन हो। हमारी स्थितिको जो कोई भी समझना चाहे, हम उसे भली-भाँति समझा देना चाहते हैं। मैं कोई शर्त नहीं लगाता, परन्तु जब सम्मेलन बुलाने के पहले मुझपर शर्तें लगाई जाती हैं तब मुझे उन शर्तोंकी छानबीन करनेकी अनुमति अवश्य दी जानी चाहिए। और अगर मेरी छानबीनके बाद वे घातक ठहरें तो उन्हें स्वीकार न करनेके लिए मुझे क्षमा किया जाना चाहिए। भारत सरकारने ही यह तनाव पैदा किया है और वही इसे नियन्त्रित कर सकती है, क्योंकि आक्रमण उसीकी ओरसे हुआ है।

[अंग्रेजीसे]
लीडर, २६-१२-१९२१

४२. तार:देवदास गांधीको

[२४ दिसम्बर, १९२१ या उसके पश्चात्][१]

महादेव के सम्बन्धमें आह्लादित। आशा है दुर्गा सशक्त और स्वस्थ होगी। चाहे तो वापस आ सकती है। आशा है तुम गिरफ्तार होनेतक अखबार जारी रखोगे और अन्य लोग तुम्हारा स्थान लेनेके लिए तैयार होंगे।

बापू

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३-१-१९२२
  1. स्पष्ट है कि यह तार २४ दिसम्बर, १९२१ को महादेव देसाईको इंडिपेंडेंटका हस्तलिखित संस्करण प्रकाशित करनेके जुर्म में दण्डविधि संशोधन अधिनियम के अन्तर्गत सजा होनेके तुरन्त बाद भेजा गया था।