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३९. भेंट:'बॉम्बे क्रॉनिकल' के प्रतिनिधिसे

[२३ दिसम्बर, १९२१][१]

कार्य समितिको बैठक आज सुबह और शामको, दोनों वक्त हुई और उसमें कांग्रेस कार्यक्रम तथा आगके कामसे सम्बन्धित मुख्य प्रस्तावपर विस्तारसे चर्चा की गई। अन्य विषयोंके अलावा श्री दासके स्थानपर काम करनेके लिए अध्यक्ष के चुनावपर भी विचार किया गया और जैसा कि पहले ही सुझाव दिया गया था, हकीम अजमलखाँ उस पदके लिए चुन लिये गये। उनका नाम अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी कलकी बैठक में पुष्टिके लिए रखा जायेगा।

बैठक समाप्त होनेपर 'बॉम्बे क्रॉनिकल' के एक प्रतिनिधि द्वारा भेंट किये जानेपर गांधीजीने कहा, बैठककी विशेषता यह रही कि उसमें भाग लेनेवालोंमें पूरा तालमेल और मतैक्य रहा । समितिके सदस्योंके अतिरिक्त प्रान्तोंके प्रमुख प्रतिनिधि तथा अन्य लोग खास तौर से बुलाये गये थे। कर्नाटक, महाराष्ट्र और एक-दो अन्य प्रान्तों में काफी हदतक ऐसी भावना है कि विदेशों में प्रचार, जो पिछले वर्ष बन्द कर दिया गया था[२], फिर शुरू किया जाना चाहिए और पूरी तरह नये ढंगसे चलाया जाना चाहिए ताकि बाहरी दुनिया के सामने भारतको स्थितिको निष्पक्ष जानकारी रखी जा सके। मालूम हुआ है कि विषय समितिकी बैठक में इस विषयपर एक प्रस्ताव रखा जायेगा। लगता है कि गांधीजी ऐसे प्रचारके पक्ष में नहीं हैं; परन्तु आशा है, इस चर्चाके परिणामको प्रतीक्षा दिलचस्पीसे की जायेगी। गांधीजी वाइसरायके भाषणसे[३] निराश नहीं दिखते थे। क्योंकि उन्होंने पहले ही इस परिणामकी कल्पना कर ली थी। भाषणसे तो केवल ऐसे शिष्टमण्डलकी व्यर्थताके बारेमें उनके अपने विचारोंकी यथार्थता ही सत्य सिद्ध हुई। गांधीजीने कहा, मात्र संयोगकी बात है कि मैंने लॉर्ड रोनाल्डशेके भाषणको रिपोर्ट देख लो और सोचा कि उसका जवाब[४] दिया जाना चाहिए। मैं उसका जवाब पहले ही दे चुका हूँ और जो कुछ मैंने कहा था उसमें से कुछ भी ऐसा नहीं जो ठीक साबित न हुआ हो…।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २४-१२-१९२१
  1. देखिए "तार:जियाराम सक्सेनाको", १६-१२-१९२२ या उसके पश्चात्।
  2. देखिए खण्ड १९, पृष्ठ १८६।
  3. मालवीयजीके नेतृत्व में भेजे गये शिष्टमण्डलके जवाबमें २१ दिसम्बर, १९२१ को कलकत्ता में दिया गया भाषण।
  4. देखिए "वक्तव्य:गोलमेज परिषद्के सम्बन्धर्मे ", २०-१२-१९२१।