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३७. पत्र:महादेव देसाईको

[२२ दिसम्बर, १९२१][१]

चि॰ महादेव,

मैं तुम्हें नियमितरूपसे पत्र लिखनेका प्रयत्न अवश्य करता रहूँगा। ख्वाजा[२] पकड़ लिये गये हैं। उनकी पत्नीने लिखा है कि उनके स्थानपर अब वे काम करेंगी।

मुझे जो प्रस्ताव सूझ पड़ा है उसका मसविदा भेज रहा हूँ। उसे ध्यानसे पढ़कर अगर कोई सुझाव देना चाहो तो अवश्य देना। तार भेजना तो व्यर्थ ही है क्योंकि उन तक पहुँचता ही नहीं। एकाध तारकी बात अलग है।

मैं चाहता हूँ कि देवदास फौरन जेल चला जाये। इसका महत्त्व तुम समझ सकते हो।

स्वरूपरानीके सन्देशकी अंग्रेजी मुझे उत्तम जान पड़ी।

अपने स्वास्थ्यका खयाल रखना। क्रिस्टोदास[३] जो कुछ भेजते हैं उसे मैं पढ़ जाता हूँ। मैंने जिसमें संशोधन कर दिया हो उसको यदि तुम जाँचे बिना भी प्रकाशित कर दो तो कोई हर्ज नहीं।

आजका 'यंग इंडिया' भी तुम्हारे 'इंडिपेंडेंट' को भर सकता है। दो दिनसे 'इंडिपेंडेंट' नहीं आ रहा है।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ११४२६) की फोटो-नकलसे।

  1. इस पत्रके अन्तिम अनुच्छेदमें इस तारीखके यंग इंडियाका जिक्र है जिसमें गांधीजीने श्रीमती ख्वाजाका पत्र उद्धृत किया है।
  2. देखिए "टिप्पणियाँ", २२-१२-१९२१ का उप-शीर्षक "योग्य पतिकी योग्य पत्नी"।
  3. कृष्णदास, गांधीजीके सचिव।