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सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

दुकानदार और उसके सहायक, प्रत्येक तांगेवाला, प्रत्येक कुली और गाड़ीवान, यानी वास्तवमें दिल्लीका प्रत्येक निवासी अपना रोजमर्राका काम करते समय भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक दलको स्वदेशी वर्दी पहने दिखाई देने लगेगा।

इस पत्रसे जाहिर है कि अधिकारियोंकी गुण्डागर्दीका सामना करते हुए कितनी धार्मिक श्रद्धाके भावसे वे यह आन्दोलन चला रहे हैं। स्पष्ट है कि लाहौर और अमृतसरकी छूत फैलती जा रही है। उत्तरमें अमृतसर और लाहौर तथा अब दिल्लीसे अमन-चैनके पहरेदारोंके अकारण हमलों और पूर्व में कलकत्तेसे इसी प्रकारके मनमाने व्यवहारकी खबरें शान्त स्वभाव जनता के लिए असह्य होती जा रही हैं। क्या इस धार्मिक श्रद्धा भावको छोड़कर दूसरी कोई चीज भारतकी जनताको इतना शान्त बनाये रख सकती है?

उल्लेखनीय शपथ

दिल्लीमें शान्ति कायम रखनेका काम कितने सम्पूर्ण ढंगसे किया जा रहा है यह दिखाने के लिए मैं श्री आसफअलीके[१] उस पत्र में ली गई वह अनोखी शपथ नीचे उद्धृत कर रहा हूँ जो उन्होंने बावन अन्य लोगोंके साथ गिरफ्तार होनेके लिए जाते समय लिखा था:

खुदाको हाजिर नाजिर जानकर में यह ऐलान करता हूँ कि (१) पुरअमन तरीकोंसे स्वराज्य हासिल करना, (२) हिन्दुस्तान की अलग-अलग कौमों और मजहबोंके बीच एका और भाईचारा कायम करना, (३) किसी तबके या कौमको हकीर या अछूत न मानना, (४) अपने मुल्ककी इज्जतके लिए और उसके हक में जानोमाल न्योछावर करना, (५) मुल्कमें ही हाथ-कता, हाथ-बुना कपड़ा पहनना, (६) हीला-हवाला किये बिना अधिकारियोंका हुक्म मानना, (७) और जबतक मुझे दलसे अलग न किया जाये (अथवा जबतक कांग्रेस इस नीतिपर कायम रहे) खुद अहिंसाका पालन करना और अहिंसाका पालन करनेके लिए दूसरोंको राजी करना मेरा पाक फर्ज होगा; और (८) अन्तमें में यह अहद करता हूँ कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक दलके सिलसिलेमें जितनी भी परेशानियाँ और मुसीबतें आयेंगी, मैं खुशी-खुशी उनका सामना करूँगा और न तो में और न मेरे आश्रित किसी तरहका हर्जाना पानकी उम्मीद करेंगे।

द्रविड़ देशका अंशदान

मद्रास और आन्ध्र-देश शनैः-शनैः परन्तु जमे कदमों आगे बढ़ रहे हैं। कोई ताज्जुब नहीं यदि द्रविड़ लोग बंगालकी बराबरीपर आ जायें। बंगालमें अभीतक १,५०० लोग जेल जा चुके हैं। द्रविड़ देशमें भी, मद्यपान निषेधके सम्बन्धमें, अकेले

  1. १८८८-१९५३; बैरिस्टर और राष्ट्रवादी मुस्लिम राजनीतिश; खिलाफत आन्दोलनमें प्रमुख भाग लिया। अमेरिकामें भारतके राजदूत