पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/१०४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्‍मय

युद्धमें भी हमें बहुतसे लोगोंके जीवनकी कुर्बानी देनी पड़ती। अब जब कि हमें केवल जान देनी है, तो मुझे इस बातमें जरा भी सन्देह नहीं है कि कुर्बानियोंकी संख्या उतनी न होगी और न हो सकती है जितनी जान देने और जान लेनेवाली लड़ाइयोंमें होती है। यह एक बड़े ही पवित्र कृत्यका नितान्त व्यावसायिक पहलू है। फिर भी यह बिलकुल सच्चा पहलू है और मुझे यह समझ लेनेमें कोई हर्ज नहीं लगता कि अपनेको बदला लेनेसे रोककर हम अपने-आपको इस बात के लिए जिम्मेदार बना लेते हैं कि कमसे कम मनुष्योंको कष्ट उठाना पड़े।

निष्कलुष बलिदान

पुलिसने अभी मुझे धारा १२४ (क) के अधीन गिरफ्तार किया है। मातृभूमिकी इस प्रकार विनम्र सेवाका सुअवसर प्रदान करनेके लिए सर्वशक्तिमान्‌को अनेक धन्यवाद। मेरे मनमें किसी प्रकारका द्वेष अथवा अन्य कोई भाव नहीं, बल्कि यही एक विचार है कि भारतकी स्वतन्त्रताके लिए मैंने ईमानदारी और दृढ़तापूर्वक अपने कर्त्तव्यका निर्वाह किया है। मुझे विश्वास है कि जेलकी दीवारोंके भीतर रहकर में उतने ही उपयोगी ढंगसे और प्रसन्नभावसे देशकी सेवा कर सकूंगा जितनेसे इनके बाहर रहकर करनेका प्रयत्न करता था।

यह तार जयरामदासका[१] है। उसी दिन मुझे उनका पत्र भी मिला जिससे श्री वेसूमल तेजूमल, मौलवी फतेह मुहम्मद और मौलवी सैयद अब्बास, जो तीनों ही बड़े प्रमुख कार्यकर्त्ता हैं, की गिरफ्तारियोंका पता चला। इन लोगोंकी गिरफ्तारियोंसे सिंधमें हुई गिरफ्तारियोंकी कुल संख्या ९५ हो गई है। जयरामदासके त्यागको मैं बिलकुल निष्कलुष समझता हूँ। मुझे पता है कि विचारोंमें भी उन्होंने किसीका बुरा नहीं चाहा। यह ऐसी बात है जो केवल थोड़ेसे लोगोंके बारेमें कही जा सकती है। वे कठोर सत्यव्रती और कामके पीछे अपनेको मिटा डालनेवाले कार्यकर्त्ता हैं। सरकारको यह जानना चाहिए कि जयरामदास कभी हिंसाको प्रोत्साहन नहीं देंगे, न हिंसाकी बात सोचेंगे। उन्होंने सदा स्वेच्छासे देशके कानूनोंका पालन किया है। इसीलिए वे सविनय अवज्ञाका अर्थ भली प्रकार समझते हैं। लेकिन जेलमें डाल देनेके अतिरिक्त शासनके लिए जयरामदासका और कोई उपयोग नहीं है। इसी प्रकारकी गिरफ्तारियाँ तो धार्मिक अर्थों में स्वराज्य के दिनको अधिक निकट लाती हैं।

दिल्लीकी कारगुजारी

दिल्ली जो कुर्बानियाँ दे रही है वे भी शान्तिके हितमें ही हैं। यह दिखाने के लिए कि शान्तिपूर्ण वातावरण बनाये रखने के लिए दिल्लीमें कितनी असाधारण सावधानी

  1. जयरामदास दौलतराम (जन्म १८९२); सिन्धके कांग्रेसी नेता; १९२० में असहयोग आन्दोलन में शरीक हुए; भारत सरकारके खाद्य और कृषि मन्त्री, असमके गवर्नर, सिन्ध प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके सचिव।