वाचा, कर्मणा हमेशा हिंसासे दूर रहते हैं। वे संस्कृत-साहित्यके अच्छे पण्डित हैं। वे बड़े ही धर्मनिष्ठ हैं। जमींदार हैं। श्रीमती बेसेंट[१] यदि सेंट्रल हिन्दू कालेजकी जन्मदात्री हैं तो बाबू भगवानदास उसके निर्माता हैं। अतएव उनकी गिरफ्तारी एक ऐसा बलिदान है जो ईश्वरको रुचिकर हुए बिना नहीं रह सकता। और वह पतित-पावनी विश्वनाथपुरी इससे अच्छा बलिदान और क्या करती? अखबार पढ़नेवाले लोग जानते ही होंगे कि बाबू भगवानदास कांग्रेस द्वारा स्वराज्य-योजना तैयार करानेका प्रयत्न कर रहे थे। उसके लिए वे स्वयं भी घोर परिश्रम कर रहे थे। उन्होंने मुझे कितने ही सूचक प्रश्नोंकी एक लम्बी सूची भेजी थी, जिसपर मैं वर्तमान घटनाओंके कारण अभीतक कोई ध्यान नहीं दे पाया। हिंसा न होने देनेकी वे बड़ी चिन्ता रखते थे। यदि उनकी गिरफ्तारीसे भी सरकारकी हिंसा-काण्डको न्यौता देनेकी उत्सुकताका पता न चलता हो तो मैं नहीं कह सकता कि किस बात से चलेगा। मनुष्य के लिए यह बड़े भाग्यकी बात है जो ईश्वर उसकी योजनाओंको अक्सर उलट-पलट देता है। और आजकल जो नित नई घटनाएँ हो रही हैं उनसे तो यह अधिकाधिक निश्चित होता जाता है कि भगवान् इस सरकारकी तमाम योजनाओंको उलट रहा है। इतना होते हुए भी लोग शान्त बने हुए हैं।
मार्केका प्रमाण
अमृतसरके लाला गिरधारीलालने[२]वस्तु-स्थिति के बारेमें बड़े मार्केका प्रमाण प्रस्तुत किया है जो इस प्रकार है:[३]
कल १४ तारीखको पंजाब राष्ट्रीय स्वयंसेवक दलके २१ स्वयंसेवक खादीका प्रचार करते हुए फरीद चौकसे जलूस बनाकर हॉल बाजार होकर गुजरे। डी॰ एस॰ पी॰ श्री बीटी और सब-इंस्पेक्टर मो॰ फकीर हुसैनने स्वयंसेवकोंसे तितर-बितर हो जानेको कहा। स्वयंसेवकोंने तितर-बितर होनेसे इनकार कर दिया और कहा कि वे गिरफ्तारीके लिए तैयार हैं। इसपर श्री बीटी और मो॰ फकीर हुसैनने बड़ी बेरहमीसे स्वयंसेवकोंपर बेंत और हंटर बरसाने शुरू कर दिये। फकीर हुसैनने एक मुसलमान स्वयंसेवककी दाढ़ी पकड़कर उसे बेभावकी मार मारी। …स्वयंसेवकोंके चेहरों और शरीरपर सख्त चोटोंके निशान हैं। सब-इंस्पेक्टरने खिलाफत स्वयंसेवकोंको गन्दी गन्दी गालियाँ दीं और जनता मौन और शान्तिपूर्वक इस कायरतापूर्ण हमलेको सहन करती रही। स्वयंसेवकोंने सिर्फ यही कहा कि यदि पुलिस में साहस हो तो या तो उन्हें गिरफ्तार किया जाये अथवा (स्वयंसेवकोंको) गोली मार दी जाये। …इन बहादुर और