१४६. सन्देश : बम्बई राष्ट्रीय कालेजके अध्यापकोंको' २४ अक्तूबर, १९२१ धुनो, बुनो, कातो, कातो, बुनो, धुनो; बुनो, धुनो, कातो । [[अंग्रेजीसे ] सेवन मंथ्स विद महात्मा गांधी १४७. पत्र : बनारसीदास चतुर्वेदीको साबरमती २४ अक्तूबर, १९२१ भाईश्री बनारसीदासजी, आपका पत्र मीला । मैं चाहता हुं अब आप भी जहांगीर पीटीटको कुछ भी न लिखें। १४८. पत्र : डी० बी० शुक्लको आपका, मोहनदास गांधी गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल पत्र (जी० एन० २५६०) की फोटो-नकलसे । साबरमती मंगलवार, आश्विन बदी ९ [२५ अक्तूबर, १९२१] भाईश्री, आपने मुझसे काठियावाड़में आनेका आग्रह किया है। मेरा भी मन तो बहुत होता है कि मैं स्वयं आकर काठियावाड़की जनतामें जो उत्साह फैला हुआ है, उसने १. राष्ट्रीय कालेजके अध्यापकोंने गांधीजीसे पूछा था कि अवकाश बितानेका सबसे अच्छा और उपयोगी तरीका क्या है। वह गांधीजीका मौनवार था, इसलिए उत्तरमें ये तीन पंक्तियाँ लिख दीं। २. श्री शुक्लने गांधीजीका यह पत्र गुजरातीके दीपावली अंक प्रकाशनार्थं भेजा था; किसी कारण से वह दीपावली अंकमें तो प्रकाशित नहीं हो सका किन्तु बादके एक अंकमें 'काठियावादको गांधीजोका सन्देश' - शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था । Gandhi Heritage Porta
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